
बांग्लादेश में बीते कुछ समय से चल रही हिंसा और अराजकता में देश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान से जुड़ी पहचान पर लगातार हमले हो रहे हैं। शेख मुजीब की मूर्तियां तोड़ी गई हैं और सार्वजनिक स्थानों पर लगी नेमप्लेट हटाई जा रही हैं। नया घटनाक्रम मुंशीगंज में हुआ है, जहां शेख मुजीब की नेमप्लेट तोड़ी गई है। मदरसे के सैकड़ों छात्रों ने मुंशीगंज में धलेश्वरी टोल प्लाजा पर से वो पट्टिका हटा दी गई, जिस पर ‘राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान एक्सप्रेसवे’ लिखा हुआ था। ये ढाका-मावा एक्सप्रेसवे है, जिसका नाम शेख मुजीब के नाम पर रखा गया था।
द डेली स्टार की रिपोर्ट कहती है कि मदरसे के छात्रों ने गुरुवार दोपहर को हाईवे पर लगी पट्टिका तोड़ दी। जामिया इस्लामिया हलीमिया मधुपुर मदरसा में टीचर और हिफाजत इस्लाम के नेता मौलाना ओबैदुल्ला काशमी ने कहा कि इसके बाद भांगा में भी टोल प्लाजा का नाम बदला जाएगा। वहीं मुंशीगंज रोड और हाईवे के कार्यकारी अभियंता दीवान अबुल काशेम मोहम्मद रेजा ने कहा कि इस तरह के बुनियादी ढांचे के नाम सरकारी गजट के बिना नहीं बदले जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि देश में जारी हिंसा की वजह से 5 अगस्त से टोल बंद है। कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार होने पर टोल प्लाजा की मरम्मत की जाएगी।
ढाका में तोड़ी गई थी शेख मुजीब की मूर्ति – शेख हसीना के पीएम पद से इस्तीफे और देश छोड़ने के बाद ढाका में प्रदर्शनकारियों ने ढाका में भी शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति को तोड़ा है। प्रदर्शनकारियों ने ढाका में बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति तोड़ते पर चढ़कर तोड़फोड़ की और उसे गिरा दिया। शेख हसीना के पिता शेख मुजीब ने बांग्लादेश की आजादी के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी। बांग्लादेश बनने के बाद देश के पहले राष्ट्रपति बने थे। वह 1971 से लेकर अगस्त 1975 तक देश के प्रधानमंत्री भी रहे। प्रधानमंत्री रहते हुए ही उनकी हत्या कर दी गई थी।
बांग्लादेश में संसद भंग होने के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी है। मोहम्मद यूनुस ने मानवाधिकारों की रक्षा और अल्पसंख्यकों पर हमले रोकने के लिए कदम उठाने की बात कही है। हालांकिस देश में अभी भी हालात सामान्य होते नहीं दिख रहे हैं। ढाका समेतस कई हिस्सों में लगातार अवामी लीग से जुड़े नेताओं और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। उपद्रवियों ने कई ऐतिहासिक संरचनाओं को जला दिया है। कई जिलों में हिंदू समुदाय के सदस्यों पर हमले हुए हैं., जिन्हें आम तौर पर बड़े पैमाने पर अवामी लीग का समर्थन माना जाता है। अहमदिया मुस्लिम समुदाय और जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ भी हमले हुए हैं।
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