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सोने से पहले अगर डरते हैं बच्चे, तो ये हो सकता है कारण, Parents तुरंत दें ध्‍यान


बच्चे अगर सही नींद नहीं ले रहे हैं या सोते-सोते बीच रात में जाग जाते हैं तो हो सकता है उनमें एंग्जायटी की परेशानी हो। अगर सोते वक्त अपने बच्चे के बिहेवियर में किसी तरह का बदलाव देख रहे हैं तो इस बारे में डॉक्टर या एक्स्पर्ट से जरूर बात करें। क्योंकि ये बेडटाइम एंग्जायटी के लक्षण हो सकते हैं।
स्ट्रेस, एंग्जायटी, तनाव, चिंता, ये सब अगर टीनेजर्स या एडल्ट बोले तो हम मान लेते हैं। लेकिन यही बात अगर हम कहें कि बच्चों में भी ये कॉमन है तो क्या आप मानेंगे? सीएस मॉट चिल्ड्रेन हॉस्पिटल द्वारा हाल ही में हुए एक नेशनल सर्वे में, बच्चों के स्वास्थ्य पर इस कॉमन परेशानी के बारे में पता चलता है, जिसमें यह बात सामने आयी है कि 4 में से 1 माता-पिता ने कहा कि उनके बच्चे को सोने में परेशानी होती है क्योंकि वे चिंतित या परेशान रहते हैं।
वहीं, एक तिहाई से ज्यादा पेरेंट्स ने बताया कि उनका बच्चा पूरी रात सो नहीं पाता और अक्सर या कभी-कभी परेशान होकर या रोते हुए जाग जाता है। यह पोल फरवरी में 781 पेरेंट्स के साथ आयोजित किया गया था, जिनके कम से कम एक बच्चे की उम्र 1 से 6 साल थी।
दरअसल, जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं उनमें और उनकी आदतों में कई तरह के बदलाव होते हैं। उनके मन कई तरह की कल्पनाएं आती हैं, कई तरह के डर जैसे – अंधेरे से डर, मॉन्स्टर से डर, जिस कारण उनके अंदर चिंता भावना पैदा हो सकती है और जो रात में ज्यादा एक्टिव हो जाती है।
अब सवाल यह है कि बच्चों में रात में सोने से पहले आने वाली इन चिंताओं को कैसे दूर किया जाए। तो यहां हमने शेयर की है बच्चों को रात में सोने से पहले रिलैक्स महसूस कराने के तरीके।
सोने से पहले चिंतित बच्चों को शांत करने के उपाय –
बच्चों को सोने से पहले अच्छी प्रेरणादायक या फनी कहानियां सुनाएं।
उनकी बेचैनी या चिंता को कम करने के लिए हल्की म्यूजिक सुनाएं, खासकर जिसमें नेचर का साउंड हो।
कमरे को पूरी तरह अंधेरा न करें, ध्यान रहे कमरे में हल्की रौशनी आती रहे।
बच्चे को अकेले कमरे में छोड़े, हो सके तो कुछ वक्त अपने पास ही सुलाएं।
उनसे उनकी चिंता और डर का कारण पूछें और उसे सॉल्व करने की कोशिश करें।
उन्हें आंख बंद कर गहरी सांस लेने के लिए बोलें।
उनके सर को सहलाते रहें ताकि उन्हें नींद आ जाए।
उन्हें सुरक्षित महसूस कराएं, उन्हें यकीन दिलाएं कि आप हर परेशानी में हमेशा उनके साथ हैं।
उनमें किताब पढ़ने की आदत लगाएं ताकि पढ़ते-पढ़ते उन्हें नींद आ जाए।
सोने से पहले उनके लिए एक रूटीन बनाएं, जिसमें उन्हें हल्का नहाएं या हाथ-मुंह धुलाएं, उनका बेड अच्छी तरह साफ और आरामदायक बनाएं।
सोने से पहले कमरे का तापमान न ज्यादा गर्म, न ज्यादा ठंडा रखें। नॉर्मल टेम्पेरेचर रखें।
बच्चे के कमरे में किसी को भी अचानक आने न दें और उनके सोने से पहले या सोने के दौरान घर में किसी तरह का शोर न करें।
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बड़ों की तरह ही बच्चे भी अपने मन में कई तरह की परेशानी व चिंताओं से लड़ते रहते हैं, जिन्हें वो कई बार बोल नहीं सकते हैं। ऐसे में यह माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वो अपने बच्चे के स्वभाव में या रूटीन में किसी तरह का भी अगर बदलाव देखें तो उसे अनदेखा न करें। तुरंत उनके व्यवहार पर ध्यान देकर उनसे परेशानी पूछे और उसका हल निकालने की कोशिश करें।