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पाकिस्तान से यूनुस की दोस्ती और बांग्लादेश में ISI अफसरों के दौरे, भारत के लिए कैसे खतरे का सबब बना ये गठजोड़!


बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच आर्थिक और सामरिक संबंध बढ़ रहे हैं। दोनों देशों के बीच के रिश्ते एक और पड़ोसी भारत के लिए चिंता का सबब बन रहे हैं। पाक और बांग्लादेश के बीच खुफिया और सैन्य सहयोग बढ़ा है, जो भारत के लिए सुरक्षा चुनौती पेश करता है।
पाक पीएम शहबाज शरीफ के साथ मोहम्मद यूनुस। – ढाका: बांग्लादेश में बीते कुछ महीनों से भारी सियासी उथलपुथल देखी गई है। अगस्त, 2024 में विरोध प्रदर्शनों के बीच शेख हसीना के हाथ से सत्ता जाने के बाद बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी है। मोहम्मद यूनुस की सरकार ने शेख हसीना के रुख के उलट पाकिस्तान से नजदीकी बढ़ाई है। दोनों देशों में व्यापारिक रिश्तों के साथ सैन्य संबंध भी बेहतर हो रहे हैं। बांग्लादेश और पाकिस्तान के खुफिया और सैन्य अधिकारी लगातार बैठकें कर रहे हैं। इससे भारत की चिंता बढ़ती हैं। बांग्लादेश में पाकिस्तान का बढ़ता प्रभाव भारत के पूर्वोत्तर में सुरक्षा चुनौती खड़ी कर सकता है।
मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी जैसे गुटों का प्रभाव है। यूनुस सरकार लगातार पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने की कोशिश कर रही है। 53 वर्षों में पहली बार पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच पहले सीधे समुद्री व्यापार शुरू हुआ है। बांग्लादेश की आर्मी के सीनियर अफसरों ने रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना के हेडक्वार्टर का दौरा किया है। वहीं पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई के अफसर ढाका का दौरा कर चुके हैं।
भारत के लिए क्यों बढ़ी चिंता – बांग्लादेश को हालिया समय में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के साथ संबंधों पर जोर देते देखा गया है। बांग्लादेश ने भारतीय सीमा के पास सिलीगुड़ी कॉरिडोर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में पाक अफसरों का दौरा कराया है। इतना ही नहीं बांग्लादेशी सेना ने तुर्की से ड्रोन भी निगरानी अभियानों के लिए भारतीय सीमा पर लगाए हैं।
ईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ढाका स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के राजनयिक आतंकवादियों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए अदालतों और प्रमुख बांग्लादेशी संस्थानों में घुसपैठ कर रहे हैं। इससे ना केवल बांग्लादेश की सुरक्षा खतरे में पड़ती है, बल्कि भारत के क्षेत्रीय सुरक्षा हितों को भी गंभीर खतरा पैदा हो रहा है।
ISI ने पहले भी खड़ी की है मुश्किल – भारत की सबसे बड़ी चिंता बांग्लादेश सीमा से भारत में अवैध हथियार आने को लेकर है। पूर्व में भी आईएसआई के भारत के पूर्वोत्तर में सशस्त्र अलगाववादी गुटों से संबंध रहे हैं। आईएसआई ने 1990 और 2000 के दशक में भारत विरोधी गुटों को लिए ट्रेनिंग कैंप भी लगाए थे। इसमें यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) का नाम शामिल है। ऐसे में भारत को डर है कि बांग्लादेश का इस्तेमाल पाकिस्तान फिर से भारत के पूर्वोत्तर को अस्थिर करने के लिए कर सकता है।