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कूड़े में मिली पिता की 62 साल पुरानी पासबुक,रातों-रात करोड़पति बन गया बेटा!, चौकानें वाली है पूरी कहानी


कहते हैं किस्मत कभी भी करवट ले सकती है, और जिंदगी आपको तब भी चौंका सकती है जब आप पूरी उम्मीद खो चुके हों। चिली के एक व्यक्ति के साथ कुछ ऐसा ही हुआ, जब एक धूलभरी पुरानी पासबुक ने उसकी जिंदगी रातोंरात बदल दी। इस शख्स का नाम है हिनोजोसा, जो अब अचानक से…
कहते हैं किस्मत कभी भी करवट ले सकती है, और जिंदगी आपको तब भी चौंका सकती है जब आप पूरी उम्मीद खो चुके हों। चिली के एक व्यक्ति के साथ कुछ ऐसा ही हुआ, जब एक धूलभरी पुरानी पासबुक ने उसकी जिंदगी रातोंरात बदल दी। इस शख्स का नाम है हिनोजोसा, जो अब अचानक से करोड़पति बन गए हैं—और वो भी किसी लॉटरी या इन्वेस्टमेंट से नहीं, बल्कि अपने पिता के छोड़े गए सामान के बीच छिपे खजाने से।
कबाड़ से निकली करोड़ों की कहानी – हिनोजोसा के पिता का हाल ही में निधन हुआ था। पिता की यादों से जुड़े सामान को छंटनी करते वक्त उन्हें एक पुरानी बैंक पासबुक मिली, जो 1960-70 के दशक की थी। शुरुआत में उन्होंने उसे कबाड़ समझकर नज़रअंदाज़ कर दिया, लेकिन बाद में उत्सुकतावश पासबुक को ध्यान से देखा। पासबुक में लगभग 1.4 लाख रुपये (तब की मुद्रा में) जमा होने की जानकारी थी। रकम भले ही छोटी लग रही थी, लेकिन असली चौंकाने वाली बात ये थी कि पासबुक पर “स्टेट गारंटी” लिखा था।
क्या है स्टेट गारंटी का मतलब? – स्टेट गारंटी का अर्थ होता है कि यदि किसी बैंक का दिवाला निकल जाए या वह बंद हो जाए, तब भी सरकार उस बैंक के ग्राहकों की जमा राशि की जिम्मेदार होती है। इसका मतलब साफ था—बैंक बंद हो चुका था, लेकिन सरकार अब भी उस रकम को लौटाने के लिए बाध्य थी।
सरकारी इनकार और फिर कानूनी जंग – हिनोजोसा ने जब इस रकम के लिए सरकार से संपर्क किया, तो उनकी मांग को ठुकरा दिया गया। सरकार ने यह कहकर मामला रफा-दफा करने की कोशिश की कि बहुत समय बीत चुका है और बैंक अब अस्तित्व में नहीं है। लेकिन हिनोजोसा ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने हक के लिए कानूनी लड़ाई शुरू की। यह लड़ाई वर्षों चली, लेकिन अंततः न्यायालय ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया।
10 करोड़ रुपये की ऐतिहासिक जीत – कोर्ट ने न सिर्फ सरकार को हिनोजोसा को मूल रकम लौटाने का आदेश दिया, बल्कि 62 साल का ब्याज भी जोड़ने को कहा। इस फैसले के बाद हिनोजोसा को करीब 1.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 10 करोड़ रुपये मिलेंगे। यह फैसला न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन गया कि अगर आपके पास दस्तावेज़ हैं, और आप अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हैं, तो कोई भी व्यवस्था आपके साथ अन्याय नहीं कर सकती।
सबक क्या है इस कहानी से? – अपने पुराने दस्तावेज़, खातों और वित्तीय कागज़ात को कभी नज़रअंदाज़ न करें।
हर नागरिक को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना चाहिए।