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‘I’m Not a Robot’ क्लिक करते ही वेबसाइट को कैसे पता चलता है आप इंसान हैं या नहीं? जानिए इस छोटे से चेकबॉक्स की बड़ी ताकत


अगर आप अपने ब्राउजर में Google अकाउंट से लॉग इन हैं, तो reCAPTCHA (Google का सिक्योरिटी टूल) आपकी पिछली ब्राउजिंग हिस्ट्री को भी ध्यान में रखता है.
अगर आपने कभी किसी वेबसाइट पर कुछ सर्च किया हो, कुछ डाउनलोड करने की कोशिश की हो या कोई फॉर्म भरा हो, तो आपने एक छोटा सा चेकबॉक्स जरूर देखा होगा ‘I’m Not a Robot’. ये लाइन जितनी साधारण लगती है, इसके पीछे का सिस्टम उतना ही स्मार्ट और जटिल होता है.
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सिर्फ एक क्लिक करने से वेबसाइट को कैसे पता चलता है कि सामने बैठा यूज़र इंसान है या कोई ऑटोमेटेड बॉट?
सिर्फ क्लिक नहीं, आपका पूरा बिहेवियर देखा जाता है
जब आप उस चेकबॉक्स पर क्लिक करते हैं, तो असल में सिस्टम पहले से आपकी हरकतें यानी आपके माउस का मूवमेंट, स्क्रीन पर स्क्रॉल करने का तरीका और क्लिक करने में लगने वाला वक्त नोट कर रहा होता है.
एक इंसान का माउस मूवमेंट कभी सीधा नहीं होता, वो थोड़ी घुमावदार और बेतरतीब सी होती है. वहीं, कंप्यूटर प्रोग्राम यानी बॉट्स बिल्कुल सटीक और एक जैसा व्यवहार करते हैं. इसी फर्क को पकड़कर सिस्टम तय करता है कि आप असली इंसान हैं या नहीं.
आपके डिवाइस की भी जांच होती है
इसके अलावा, आपका ब्राउजर और डिवाइस भी स्कैन किया जाता है. इसे तकनीकी भाषा में ब्राउजर फिंगरप्रिंटिंग कहा जाता है. इसमें ये देखा जाता है कि आपका IP एड्रेस क्या है, आपकी स्क्रीन का साइज कितना है, आपने कौन-कौन से प्लगइन्स इंस्टॉल कर रखे हैं, आप कौन से टाइम जोन में हैं और भी बहुत कुछ.
अगर इन जानकारियों में कुछ भी संदिग्ध लगा, जैसे कि VPN का इस्तेमाल, या फिर बॉट्स द्वारा अक्सर इस्तेमाल किया जाने वाला हेडलेस ब्राउज़र, तो सिस्टम अलर्ट हो जाता है.
कभी-कभी मिलती है इमेज वाली चुनौती – अगर आपकी गतिविधि सामान्य लगती है तो आप एक क्लिक में आगे बढ़ जाते हैं. लेकिन अगर सिस्टम को थोड़ा भी शक हुआ, तो आपको एक विजुअल टेस्ट दिया जाता है जैसे ‘बस वाली तस्वीरें चुनिए’, ‘ट्रैफिक लाइट दिखाइए’ आदि.
ये चुनौतियां इंसानों के लिए आसान होती हैं, लेकिन बॉट्स को इसमें दिक्कत होती है. क्योंकि अभी तक अधिकतर बॉट्स इमेज पहचानने में बहुत अच्छे नहीं हैं.
Google अकाउंट से भी मदद मिलती है – अगर आप अपने ब्राउजर में Google अकाउंट से लॉग इन हैं, तो reCAPTCHA (Google का सिक्योरिटी टूल) आपकी पिछली ब्राउजिंग हिस्ट्री को भी ध्यान में रखता है. इससे यह तय करना आसान हो जाता है कि आप पहले से एक भरोसेमंद यूजर हैं या नहीं.
तो आखिर में, ये चेकबॉक्स असली काम क्या करता है? – सीधा जवाब है ये आपकी पहचान की परख करता है. लेकिन सिर्फ क्लिक से नहीं, बल्कि आपकी पूरी डिजिटल बॉडी लैंग्वेज देखकर. ये एक तरह का दरबान है जो तय करता है कि वेबसाइट पर सिर्फ सही लोग ही अंदर आएं, न कि स्पैम फैलाने वाले बॉट्स.
तो अगली बार जब आप ‘I’m Not a Robot’ पर क्लिक करें, तो समझ लीजिए कि आप सिर्फ एक चेकबॉक्स नहीं, बल्कि एक हाईटेक सिक्योरिटी सिस्टम को पार कर रहे हैं!