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शशि थरूर बनाम बिलावल भुट्टो: अंदरूनी राजनीति से घिरे पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को एकजुट भारतीय डेलीगेशन ने कैसे दी मात


भारत और पाकिस्तान के रिश्ते बीते एक महीने से ज्यादा समय से तनातनी के दौर में है। 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के बाद दोनों मुल्कों के संबंधों में तनाव शुरू हुआ। पहलगाम का जवाब देते हुए भारत ने 6-7 मई को ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया और पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमले किए। इससे दोनों देशों में सैन्य संघर्ष शुरू हो गया, जो 10 मई की शाम को सीजफायर होने तक जारी रहा। 10 मई को सैन्य झड़प रुकने के बाद अंतरराष्ट्रीय राय को प्रभावित करने के लिए दोनों देशों ने वैश्विक कूटनीतिक अभियान शुरू कर दिए। दोनों देशों ने विदेशों में अपने डेलीगेशन भेजे हैं। भारत के प्रतिनिधिमंडल का चर्चित चेहरा कांग्रेस सांसद और पूर्व विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर बने हैं। वहीं पाकिस्तान के डेलीगेशन का नेतृत्व पूर्व विदेश मंत्री, पीपीपी नेता बिलावल भुट्टो जरदारी कर रहे हैं।
फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने दुनिया के सामने पाकिस्तान पर आतंकवाद को पनाह देने का आरोप लगाते हुए भारत में आतंकी हमलों के पीछे इस्लामाबाद की साजिश को उजागर किया है। पाकिस्तान ने इसका जवाब देते हुए खुद को भारतीय आक्रामकता का शिकार और आतंक से सबसे ज्यादा पीड़ित देश कहा है। थरूर और बिलावल की ओर अपने-अपने तर्क दुनिया के सामने रखे जा रहे हैं।
पाकिस्तान को घेर रहे थरूर – वॉशिंगटन डीसी में एक बातचीत में शशि थरूर ने कहा कि पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल यह कहता फिर रहा है कि हम आतंकवाद के शिकार हैं, हमारे लोगों ने आतंकवाद के चलते सबसे ज्यादा जानें गंवाई हैं। हम पूछते हैं कि इसमें किसकी गलती है। थरूर ने कहा, ‘हिलेरी क्लिंटन ने 10 साल पहले कहा था कि आप सांप पालकर यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वे सिर्फ पड़ोसियों को काटें।’
थरूर ने आगे कहा कि पाकिस्तान की जमीन पर टीटीपी के हमले हो रहे हैं। हम पूछते हैं कि इस गुट और इससे जुड़े दूसरे आतंकी संगठनों की मदद आखिर किसने की थी। तालिबान को किसने बनाया, जिससे तहरीक-ए-तालिबान अलग हुआ। हम सभी को इसका जवाब पता है। ऐसे में पाकिस्तान को अपने अंदर झांकना चाहिए और गंभीर चिंतन करना चाहिए।