
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टिकटॉक को लेकर एक और फैसला लिया है। उन्होंने वीडियो शेयरिंग ऐप को अमेरिका में 90 दिनों तक चलाने का आदेश दिया है। प्रशासन चाहता है कि इस बीच कंपनी के अमेरिकी स्वामित्व को लेकर कोई समझौता हो जाए। ट्रंप प्रशासन पहले भी कई बार समयसीमा बढ़ा चुका है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बृहस्पतिवार को वीडियो शेयरिंग मंच टिकटॉक को अमेरिका में 90 अतिरिक्त दिन तक चालू रखने के एक आदेश पर हस्ताक्षर किए ताकि उनके प्रशासन को इस सोशल मीडिया कंपनी को अमेरिकी स्वामित्व में लाने के लिए एक सौदा करने का समय मिल सके।
टिकटॉक को लेकर ट्रंप ने तीसरी बार समयसीमा बढ़ाई है। पहला आदेश 20 जनवरी को उनके राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण के दिन ही जारी किया गया था। दूसरा आदेश अप्रैल में आया था जब व्हाइट हाउस के अधिकारियों को लगा कि वे टिकटॉक को अमेरिकी स्वामित्व वाली एक नई कंपनी में बदलने के सौदे के करीब हैं।
टिकटॉक पर प्रतिबंध नहीं लगा रहे ट्रंप – टिकटॉक को अमेरिकी सीनेट की तरफ से लाए गए एक प्रस्ताव और उसे अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का अनुमोदन मिलने के बाद कुछ समय के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। लेकिन ट्रंप ने इस प्रतिबंध अवधि को लगातार टालने के आदेश जारी किए हैं। दरअसल, अमेरिकी प्रशासन चीन की कंपनी बाइटडांस के स्वामित्व वाले टिकटॉक के संबंध में एक सौदे पर बातचीत करने की कोशिशों में जुटा है।
हालांकि, प्रतिबंध को टालने के इन शासकीय आदेशों का कोई स्पष्ट कानूनी आधार नहीं है, लेकिन अबतक इसे कोई कानूनी चुनौती नहीं दी गई है। पिछले साल टिकटॉक के मंच से जुड़ने के बाद ट्रंप के फॉलोअर की संख्या 1.5 करोड़ से अधिक हो चुकी है। उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान युवा मतदाताओं का समर्थन जुटाने में टिकटॉक की भूमिका को श्रेय भी दिया है।
ट्रंप क्यों बढ़ा रहे प्रतिबंध की मियाद – ट्रंप ने जनवरी में कहा था कि उनके मन में टिकटॉक के लिए एक ‘गर्मजोशी’ है। फिलहाल, टिकटॉक का अमेरिका में अपने 17 करोड़ उपयोगकर्ताओं के लिए काम करना जारी है। ऐसे में सवाल उठता कि ट्रंप टिकटॉक पर प्रतिबंध से पीछे क्यों हट रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका इस वक्त चीन के साथ व्यापार समझौता करने के लिए प्रयास कर रहा है, ऐसे में ट्रंप ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहते हैं, जिससे माहौल बिगड़ जाए।
चीन से दुर्लभ पृथ्वी तत्वों को खरीदना चाहता है अमेरिका – चीन के पास दुर्लभ पृथ्वी तत्वों का सबसे बड़ा भंडार है। इसके अलावा वह वैश्विक स्तर पर ऐसे तत्वों की शोधन और निर्यात पर भी हावी है। अमेरिका को इस तत्व की बहुत जरुरत है। अमेरिकी डिफेंस इंडस्ट्री ऐसे तत्वों की सबसे बड़ी खरीदार है। अगर चीन इन तत्वों के निर्यात से इनकार करता है तो इससे अमेरिकी रक्षा उद्योग के चरमराने का खतरा है।
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