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चीन ने टेस्ट किया बिना रेडिएशन वाला सुपर H बम, मैग्नीशियम हाइड्राइड बदल देगा भविष्य का युद्ध, परमाणु हथियार से भी क्यों है खतरनाक?

इस डिवाइस का मूल तत्व मैग्नीशियम हाइड्राइड (MgH₂) है। गर्म करने पर हाइड्रोजन गैस छोड़ने की इसकी क्षमता की वजह से इस यौगिक का हाइड्रोजन भंडारण में इसकी क्षमता को जानने के लिए इसपर रिसर्च किया जा रहा था। शुरूआत में इसका मकसद स्वच्छ ऊर्जा बनाने के लिए रिसर्च करना था, जिसे चीनी इंजीनियरों ने बम में बदल दिया।
चीन ने अप्रैल महीने में एक नई सैन्य टेक्नोलॉजी का टेस्ट किया है। इस टेक्नोलॉजी ने दुनिया के कई देशों को परेशान कर दिया है। चीन की स्टेट शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन (CSSC) की 705 रिसर्च इंस्टीट्यूट ने एक गैर-न्यूक्लियर हाइड्रोजन आधारित विस्फोटक का सफल परीक्षण किया है। यह हथियार पारंपरिक थर्मोन्यूक्लियर बमों की तरह रेडियोएक्टिव रेडिएशन पैदा नहीं करता है, लेकिन इसकी तबाही TNT से कई गुना ज्यादा है। यह विस्फोटक मैग्नीशियम हाईड्राइड (MgH₂) पर आधारित है, जो हाइड्रोजन गैस छोड़कर एक अत्यंत गर्म और लंबे समय तक धधकने वाला आग का भयानक गोला बनाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह टेक्नोलॉजी 1,000 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान पैदा कर सकती है और अगर विस्फोट दो सेकंड से ज्यादा समय तक जारी रहता है, तो पारंपरिक विस्फोटकों के मुकाबले इसका प्रभाव 15 गुना ज्यादा हो जाता है।
जर्नल ऑफ प्रोजेक्टाइल्स, रॉकेट्स, मिसाइल्स एंड गाइडेंस में प्रकाशित एक शोधपत्र में चीन की इस नई टेक्नोलॉजी के बारे में अब खुलासा किया गया है। साउथ चायना मॉर्निंग पोस्ट ने इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया है, जिसमें बताया गया है कि चीन की ये टेक्नोलॉजी युद्ध को पूरी तरह से बदल देने की क्षमता रखती है। हालांकि इस बम के इस्तेमाल को लेकर कई तरह के गंभीर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि चूंकी ये परमाणु बम की तरह रेडिएशन उत्पन्न नहीं करता है, इसलिए चीन इसे परमाणु बम की कैटोगिरी में नहीं रखता, लेकिन इसका असर किसी परमाणु बम विस्फोट से कम नहीं है।
इस डिवाइस का मूल तत्व मैग्नीशियम हाइड्राइड (MgH₂) है। गर्म करने पर हाइड्रोजन गैस छोड़ने की इसकी क्षमता की वजह से इस यौगिक का हाइड्रोजन भंडारण में इसकी क्षमता को जानने के लिए इसपर रिसर्च किया जा रहा था। शुरूआत में इसका मकसद स्वच्छ ऊर्जा बनाने के लिए रिसर्च करना था, ताकि ईंधन या न्यूक्लियर ऊर्जा के बाद एक नई तरह की ऊर्जा की खोज की जा सके, लेकिन चीन के वैज्ञानिकों ने इसे बम में बदल दिया। यह एक “ड्यूल-यूज टेक्नोलॉजी” का खतरनाक उदाहरण है, जो वैज्ञानिक इनोवेशन को ऊर्जा और सुरक्षा, दोनों क्षेत्रों में इस्तेमाल करने का इशारा देता है। रिपोर्ट के मुताबिक पहले MgH₂ को प्रयोगशाला स्तर पर कुछ ग्राम प्रतिदिन की मात्रा में ही सुरक्षित रूप से तैयार किया जा रहा था, लेकिन अब चीन की शांक्सी प्रांत में स्थित नये प्लांट में इस विस्फोटक का सालाना उत्पादन 150 टन तक किया जा रहा है। यह ‘वन-पॉट सिंथेसिस’ टेक्नोलॉजी से संभव हुआ है, जो सुरक्षित, तेज और कम कीमत वाला है।