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शांतिकाल का सबसे चुनौतीपूर्ण अभियान… ब्रिटिश F-35 ने ताजा की मॉरीशस में फंसे भारतीय वायुसेना के मिराज की यादें, जानें क्या हुआ था


2126 समुद्री मील की दूरी तय करके मिराज-2000 को उड़ाना किसी लड़ाकू विमान के अब तक के सबसे चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरे शांतिकालीन अभियानों में से एक है।
तिरुवनंतपुरम में फंसे ब्रिटेन के एफ-35बी लड़ाकू विमान की मरम्मत के बाद वापसी ने भारतीय वायुसेना के सामने दो दशक पहले की एक ऐसी ही घटना की यादें ताजा कर दीं। भारतीय वायुसेना का मिराज-2000 लड़ाकू विमान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था और 22 दिनों तक मॉरीशस में फंसा रहा था। वायुसेना के एक जोखिम भरे और साहसिक अभियान के जरिए उस लड़ाकू विमान को भारत वापस लाया गया। संयोग से वायुसेना का वह लड़ाकू विमान भी तिरुवनंतपुरम में ही उतरा था।
विमान को वापस लाने का यह मिशन भारतीय विमानन इतिहास में भारतीय वायुसेना के इंजीनियरों के पायलटिंग कौशल, साहस और तकनीकी कुशलता के सबसे प्रशंसित प्रदर्शनों में से एक के रूप में दर्ज है। भारतीय वायुसेना के इंजीनियरों ने मॉरीशस में बेली लैंडिंग (विमान को बिना लैंडिंग गियर खोले या बिना पूरी तरह से खोले हुए जमीन पर उतारना) के कारण हुए व्यापक नुकसान के बाद भी विमान को कम समय में उड़ान भरने लायक बना दिया था।
पायलट ने दिखाई थी दिलेरी – मॉरीशस की घटना ने पायलट, स्क्वाड्रन लीडर जसप्रीत सिंह के साहस और योजना कौशल को भी उजागर किया, जिन्होंने खतरनाक मौसम का सामना करते हुए मरम्मत किए गए मिराज को वापस लाने के लिए हवा में तीन बार ईंधन भरा। उन्होंने 26 अक्टूबर, 2004 को हिंद महासागर के ऊपर पांच घंटे और 10 मिनट तक बिना रुके उड़ान भरी, जहां रास्ते में कोई भी खराबी लगभग निश्चित आपदा का कारण बन सकती थी।