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आर्कटिक में बारूद बोने पहुंचा अमेरिका, 3 देशों के साथ मिलकर बनाया गठबंधन, रूस की बादशाहत खत्म करने की तैयारी!


आर्कटिक में जहाजों को ऑपरेट करना अत्यंत मुश्किल काम है। फिलहाल ध्रुवीय क्षेत्रों में अमेरिकी तटरक्षक बल की ऑपरेशनल क्षमता सिर्फ दो मुख्य जहाजों पर निर्भर है। एक है पोलर स्टार, जो एक भारी बर्फ तोड़ने वाला जहाज है और 1976 से सेवा में है। करीब 50 साल पुराना होने के बावजूद, यह अभी भी काम कर रहा है।
दुनिया के हर हिस्से में जंग छेड़ने का ठेका मानो अमेरिका के पास है। मिडिल ईस्ट के कई देशों और अफगानिस्तान, ईरान को बर्बाद करने के बाद अब अमेरिका आर्कटिक में बारूद बोने की तैयारी कर रहा है। इसी मिशन के साथ अमेरिका, कनाडा और फिनलैंड के चार शिपयार्ड चुपचाप एक नए जहाज निर्माण गठबंधन में शामिल हो गए हैं, जिसका मकसद अगले तीन वर्षों के भीतर अमेरिकी तटरक्षक बल के लिए आर्कटिक सुरक्षा कटर (ASC) को तैयार करना है। इस प्रोग्राम के तहत बर्फीले समुद्र में चलने लायक लड़ाकू युद्धपोतों का निर्माण किया जाएगा। अमेरिका का मकसद अब तक शांत रहे आर्कटिक क्षेत्र में तनाव पैदा करना है। इसीलिए उसने कनाडा और फिनलैंड के साथ मिलकर आर्कटिक क्षेत्र से रूस के वर्चस्व को मिटाने की कोशिशों में जुट गया है।
अमेरिका की बोलिंगर शिपयार्ड, कनाडा की सीस्पैन शिपयार्ड्स और फिनलैंड की राउमा शिपयार्ड्स ने मिलकर आर्कटिक में चलने लायक जहाज बनाने का समझौता किया है। इस प्रोजेक्ट में हेलसिंकी स्थित फिनिश इंजीनियरिंग और डिजाइन कंपनी अकर आर्कटिक भी काम कर रही हैं। इनमें शामिल हर एक कंपनी के पास अलग अलग तजुर्बा है, जिसमें इंजीनियरिंग, ठंडे मौसम में डिजाइन विशेषज्ञता और ध्रुवीय वातावरण में ऑपरेशनल आवश्यकताओं की गहरी समझ है। यह गठबंधन आईसीई संधि के अंतर्गत बना है, जो अमेरिका, कनाडा और फिनलैंड के बीच आर्कटिक विकास और समुद्री तैयारी पर केंद्रित एक त्रिपक्षीय सहयोग समझौता है।