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असीम मुनीर, मोहम्मद यूनुस, पन्नू… भारत को चौतरफा फंसा रहा अमेरिका, चीन से जंग नहीं लड़ने की कीमत चुका रहा देश? समझें


अमेरिका पर भारत कभी भी भरोसा नहीं कर पाया है। अमेरिका की नीति ने बार बार भारत को एक सबक दिया है, कि वॉशिंगटन के साथ संबंध व्यावहारिक हितों पर आधारित होते हैं, न कि स्थायी भरोसे पर। मौजूदा ट्रंप प्रशासन ने भारत के भरोसे को पूरी तरह चकनाचूर कर दिया है। इससे भारत का विश्वास और मजबूत हुआ है कि वो अमेरिका के लिए चीन से टकराव मोल नहीं ले सकता है।
बाइडेन प्रशासन ने शासन संभालने के बाद अपने शुरूआत के तीन सालों में बार बार कोशिश की, कि भारत चीन के खिलाफ खुलकर खड़ा हो जाए। बाइडेन चाहते थे कि भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया वाले QUAD गठबंधन को नाटो की तरह सैन्य गठबंधन माने, लेकिन भारत ने ऐसा करने से परहेज दिया। बाइडेन प्रशासन तो यहां तक चाहता था कि अगर चीन से भारत को छिटपुट लड़ाई भी लड़ना पड़े, तो लड़ जाए। लेकिन भारत ने बार बार और लगातार साफ किया कि QUAD को वो एक मिलिट्री गठबंधन नहीं मानता है।
अमेरिकी रणनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यही भारत की यही रणनीति वॉशिंगटन को कभी पसंद नहीं रही है। अमेरिका आधुनिक चीन के उदय के बाद से हमेशा चाहता रहा है कि भारत को चीन के खिलाफ अग्रिम पंक्ति में खड़ा होना चाहिए, लेकिन भारत ने अपनी भौगोलिक, आर्थिक और रणनीतिक बाधाओं को देखते हुए ऐसी स्थिति से बचने की कोशिश की है। भारत को पता है कि चीन से लड़कर नुकसान अमेरिका का नहीं, अपना होगा और भारत ने चीन से उलझने के बजाए अपनी अर्थव्यवस्था पर फोकस किया। लेकिन अमेरिकी एक्सपर्ट रस्ट कोहले का मानना है कि भारत की इस नीति ने पूर्ववर्ती बाइडेन प्रशासन की धैर्य को 2024 में तोड़ दिया।