
गृह मंत्रालय ने 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद के समूल नाश का लक्ष्य रखा है। नक्सलवाद अब केवल 11 जिलों में सिमट गया है, जिसमें छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इस वर्ष 312 वामपंथी उग्रवादी मारे गए हैं और 1,639 ने आत्मसमर्पण किया है।
साल 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नक्सलवाद को देश की सबसे बड़ी आंतरिक चुनौती बताया था। लेकिन अब नक्सलवाद का दायरा कम हो रहा है। गृह मंत्रालय ने 31 मार्च 2026 नक्सल की समस्या के समूल नाश की डेडलाइन तय की है। इस परिणाम यह है कि 2013 में कई राज्यों के 126 जिलों में फैला नक्सलवाद अब महज कुछ ही जिलों में अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है। नक्सल की समस्या को 2026 तक जड़ से खत्म करने का गृहमंत्री अमित शाह ने देश की जनता से वादा भी किया है।।
गृह मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान जारी बताया है कि नक्सलवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की संख्या घटकर तीन रह गई है। छत्तीसगढ़ में केवल बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर ही वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से सबसे ज्यादा प्रभावित जिले हैं। मंत्रालय का यह बयान ऐसे समय में आया है जब छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में भाकपा (माओवादी) के 88 सदस्यों ने आत्मसमर्पण कर दिया है, जो नक्सल विरोधी अभियान के लिए एक और बड़ी सफलता है। वहीं वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की श्रेणी में यह संख्या 18 से घटकर केवल 11 रह गई है।
वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित इन 11 जिलों में बीजापुर, दंतेवाड़ा, गरियाबंद, कांकेर, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, नारायणपुर और सुकमा (सभी छत्तीसगढ़), पश्चिमी सिंहभूम (झारखंड), बालाघाट (मध्य प्रदेश), गढ़चिरौली (महाराष्ट्र) और कंधमाल (ओडिशा) शामिल हैं। इनमें तीन सर्वाधिक प्रभावित जिले में भी शामिल हैं।
Home / News / India / अमित शाह का वादा और समूल नाश की डेडलाइन, 126 जिलों में फैला खूंखार आतंक, अब आखिरी सांस गिन रहा!
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