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अबॉर्शन ठीक से न होने पर महिलाओं को कंसीव करने में आ सकती है दिक्कत, डॉक्टर बोलीं-क्‍लीन करना जरूरी है


​अगर आप अबॉर्शन से जुड़ी जरूरी जानकारी जानना चाहती हैं, तो यह लेख आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। क्‍योंक‍ि इस आर्ट‍िकल में गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. सुप्रिया पुराणिक द्वारा इस विषय पर दी गई अहम जानकारियों को शाम‍िल क‍िया गया है।
कई बार ऐसा होता है कि महिलाओं का अबॉर्शन पूरी तरह से नहीं हो पाता, जिसकी वजह से उन्‍हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, अब इस विषय पर गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. सुप्रिया पुराणिक ने भी मह‍िलाओं को सचेत क‍िया है। उनका कहना है कि अगर अबॉर्शन की प्रक्रिया ठीक तरह से पूरी न हो, तो इससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है। यही नहीं, भविष्य में महिला को कंसीव करने में भी दिक्कतें आ सकती हैं। ऐसे में जरूरी है कि समय पर जांच करवाएं। उन्‍होंने आगे और क्‍या जानकारी दी चल‍िए जानते हैं।
मह‍िला ने खाई अर्बाशन प‍िल्‍स – इंस्‍टाग्राम पर जारी एक वीडियो में डॉ. सुप्रिया पुराणिक ने बातचीत के दौरान बताया कि एक महिला ने 10 दिन पहले बाहर से अबॉर्शन पिल्स ली थीं। इसके बाद से उसे लगातार ब्लीडिंग हो रही है और अब हल्की-हल्की बदबू भी आने लगी है। हालांक‍ि, बीच में महिला की ब्लीडिंग रुक भी गई थी, जिससे उसे लगा कि अबॉर्शन पूरा हो चुका है। लेकिन असल में ऐसा नहीं है।
म‍ह‍िला को शुरू हुई ब्‍लीड‍िंग – एक्सपर्ट आगे बताती हैं कि अबॉर्शन पिल्स लेने के बाद डॉक्टर आमतौर पर एक सप्‍ताह बाद सोनोग्राफी करवाने की सलाह देते हैं। लेकिन उस महिला ने यह जांच नहीं करवाई। अब उसे दोबारा ब्लीडिंग शुरू हो गई है। अब मैंने उस मह‍िला की जांच की, तो हल्की बदबू आ रही है और टेंपरेंचर भी बढ़ा हुआ है। डॉक्टर के मुताबिक ये सभी लक्षण इंफेक्शन की निशानी हैं।
बढ़ जाता है इंफेक्शन का खतरा – गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर सुप्रिया बताती हैं कि जब अबॉर्शन आधा-अधूरा रह जाता है, तो इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे मामलों में आगे चलकर मह‍िलाओं को कंसीव करने में दिक्कतें आ सकती हैं और कभी-कभी आईवीएफ तक की जरूरत पड़ सकती है। इसलिए ऐसे हालात में तुरंत क्लीन कराना जरूरी होता है।
जांच कराना है बेहद जरूरी – एक्सपर्ट अंत में कहती हैं कि सही समय पर इलाज से गंभीर जटिलताओं को रोका जा सकता है। इसलिए समय पर जांच कराना बेहद जरूरी है। वे आगे बताती हैं कि इलाज में आमतौर पर दवाइयों के जरिए गर्भाशय को साफ किया जाता है। हालांक‍ि, कभी-कभी सर्जिकल प्रोसीजर (D&C) की भी आवश्यकता पड़ सकती है।​
फर्स्ट ट्राइमेस्टर में मिसकैरेज हो, तो करनी पड़ती है जांच – एक अन्य वीडियो में डॉक्‍टर पुराण‍िक ने बताया क‍ि अगर फर्स्ट ट्राइमेस्टर में बार-बार मिसकैरेज हो रहा है, तो यह सिर्फ संयोग नहीं होता। इसका कारण पता न होने पर प्रोटीन C और प्रोटीन A की ड‍िफेंशेयसी की जांच करनी पड़ती है, जो शरीर में नेचुरल ब्लड थिनर की कमी को दर्शाती है।