
भारत सरकार ने AI से बनी सामग्री को सोशल मीडिया पर लेबल करना अनिवार्य कर दिया है। डीपफेक के बढ़ते प्रसार को रोकने के लिए यह नियम सभी सॉफ्टवेयर और डेटाबेस पर लागू होगा। बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को AI-जनित सामग्री की पहचान बतानी होगी, जिससे डिजिटल दुनिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और गलत सूचनाओं से बचाव होगा।
भारत सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से बने कंटेंट को सोशल मीडिया पर लेबल करना अनिवार्य कर दिया है। इस नए नियम के तहत, AI से बनने वाले किसी भी कंटेंट को सार्वजनिक डोमेन में शेयर करने से पहले उसकी पहचान बतानी होगी। यह नियम सिर्फ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उन सभी सॉफ्टवेयर, डेटाबेस या कंप्यूटर संसाधनों पर लागू होगा जो सिंथेटिक कंटेंट बनाते हैं। इस कदम का मकसद AI-जनित डीपफेक (नकली वीडियो या ऑडियो) के बढ़ते प्रसार को रोकना है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में एक मसौदा संशोधन जारी किया है। इस संशोधन के अनुसार, AI से बनी या संशोधित सामग्री को पोस्ट करने वाले सभी सोशल मीडिया यूजर्स को इसकी घोषणा करनी होगी। साथ ही, प्लेटफॉर्म को ऐसी सामग्री को सत्यापित करने के लिए तकनीक अपनानी होगी। यह नियम उन बड़े सोशल मीडिया मध्यस्थों (SSMIs) पर केंद्रित है जिनके भारत में 50 लाख या उससे अधिक रजिस्टर्ड यूजर्स हैं।
हालांकि, सभी प्रौद्योगिकी मध्यस्थों को इस प्रयास में शामिल होना होगा। मंत्रालय के एक अधिकारी ने इस बारे में बताते हुए कहा, ‘आज कई प्रौद्योगिकी मध्यस्थ सॉफ्टवेयर प्रदाता और सोशल मीडिया मध्यस्थ दोनों हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके सॉफ्टवेयर और सेवाएं अक्सर SSMIs के साथ साझेदारी में प्रदान की जाती हैं, जो इनके माध्यम से बनाई गई सामग्री को सार्वजनिक प्लेटफार्मों पर पोस्ट करने की अनुमति देती हैं।’
इन टेक कंपनियों पर पड़ेगा असर – इस नए नियम का असर माइक्रोसॉफ्ट, ओपनएआई और गूगल जैसी बड़ी वैश्विक तकनीकी कंपनियों पर पड़ेगा। इन कंपनियों को अपने AI-आधारित सॉफ्टवेयर और सेवाओं, जैसे ओपनएआई के ChatGPT, Dall-E, और Sora, गूगल के Gemini, NotebookLM, और Google Cloud, माइक्रोसॉफ्ट के Copilot, Office365 और Azure, और Meta AI पर भी इस नियम को लागू करना होगा। इन कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी AI सामग्री पर एक स्पष्ट डिस्क्लेमर लगा हो।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट? – विशेषज्ञों का मानना है कि यह नियम AI के जिम्मेदार उपयोग को बढ़ावा देगा। इससे कंपनियों को यह भरोसा मिलेगा कि वे AI का इस्तेमाल करते हुए नवाचार कर सकती हैं और साथ ही समाज को नुकसान से बचा सकती हैं। हालांकि, इस नियम को लागू करने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देशों और सरकार और उद्योग के बीच सहयोग की आवश्यकता होगी। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि नियम इतने सख्त न हों कि AI के विकास में बाधा आए, बल्कि वे AI को सही दिशा में आगे बढ़ने में मदद करें।
कब लागू होगा नियम? – हालांकि, इस नए AI मैंडेट पर हितधारकों से 6 नवंबर तक प्रतिक्रिया मांगी गई है, लेकिन यह कब लागू होगा, इसकी कोई स्पष्ट समय-सीमा नहीं है। उद्योग और सरकार को मिलकर आगे का रास्ता तय करना होगा। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि नियम व्यावहारिक हों और AI के विकास को बाधित न करें, बल्कि उसे सही दिशा दें
Home / Business & Tech / AI से छेड़छाड़ आसान नहीं, भारत में डीपफेक पर डंडा… सरकार की सख्ती के बाद हरकत में आईं टेक कंपनियां
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