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आपका सिम हाईजैक हो गया, ये संकेत दिखें तो समझ जाएं हो गए हैं ‘Sim Swap’ स्कैम के शिकार


साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। नए-नए तरीकों से लोगों के साथ फ्रॉड हो रहा है। अब एक ‘सिम स्वैप’ नाम का स्कैम सामने आया है। इसमें ठग आपका मोबाइल नंबर चुरा लेते हैं। इससे आपकी बैंक, ईमेल और दूसरी चीजें खतरे में पड़ जाती हैं। जरा सोचिए कि आप एक सुबह उठे और आपके फोन में मैसेज और कॉल नहीं आ रहे। आप फोन रीस्टार्ट करते हैं, लेकिन कुछ नहीं होता। थोड़ी देर बाद ईमेल पर बैंक का अलर्ट आता है, आपके खाते से पैसे निकल गए। इसका मतलब है कि आप सिम स्वैप स्कैम का शिकार हो गए हैं। चलिए जान लेते हैं कि सिम स्वैप स्कैम का शिकार होने पर क्या संकेत मिलते हैं और इससे बचने के लिए आप अपनी ओर से क्या सुरक्षा उपाय अपना सकते हैं?
क्या है सिम स्वैप स्कैम – दरअसल, सि​म स्वैप स्कैम में हैकर आपका फोन नंबर अपने कब्जे में ले लेते हैं। वे आपकी कॉल, मैसेज और ओटीपी रोक लेते हैं। ओटीपी वो कोड होता है जो ऑनलाइन अकाउंट सुरक्षित रखता है। नंबर हाथ आने पर ठग पासवर्ड बदल सकते हैं। ईमेल हैक कर सकते हैं। बैंक से पैसे निकाल सकते हैं। आपके नंबर पर एक्सेस पाने के बाद आसानी से बैंक खाता खाली किया जा सकता है।
स्कैम कैसे शुरू होता है – सबसे पहले डिजिटल ठग आपकी निजी जानकारी चुराते हैं। जैसे नाम, पता, जन्म तिथि जैसी बातें। यह फिशिंग ईमेल से मिलती है। फर्जी कस्टमर केयर कॉल से या लीक डेटाबेस से भी हैकर ऐसा कर सकते हैं। फिर ठग उस कंपनी से संपर्क करते हैं, जिस कंपनी का सिम है। वे खुद को आपके नाम से पेश करते हैं। कहते हैं कि फोन खो गया, नई सिम दें। कंपनी नई सिम एक्टिव करती है। आपकी पुरानी सिम बंद हो जाती है। आपका नंबर डिजिटल ठग के पास चला जाता है।
ये संकेत बताते हैं कि सिम हाईजैक हो चुकी – बिना किसी वजह से अचानक फोन में नेटवर्क सिग्नल चला जाए।- सिम में नेटवर्क नहीं आता और कॉल या मैसेज नहीं आते हैं।- पासवर्ड रीसेट का अलर्ट आए, लेकिन आपने कुछ नहीं किया।- किसी संदिग्ध लॉगिन की सूचना मिले।- मैसेज आए कि आपकी सिम दूसरे डिवाइस पर एक्टिव हो गई।
सिम को हाईजैक होने से कैसे बचाएं? – – मोबाइल अकाउंट पर पिन या पासवर्ड लगाएं। सिम स्वैप के लिए यह जरूरी हो।- दो चरण वाली सुरक्षा के लिए एसएमएस की जगह ऐप इस्तेमाल करें। जैसे गूगल ऑथेंटिकेटर, इससे ओटीपी ठग तक नहीं पहुंचेगा।- ऑनलाइन निजी जानकारी कम शेयर करें। अनजान लिंक न क्लिक करें।- बैंक और ईमेल पर नजर रखें। कोई अजीब गतिविधि दिखे तो बताएं।- नेटवर्क चला जाए तो कंपनी को फौरन बताएं। जितनी जल्दी कार्रवाई होगी, उतना कम नुकसान होगा।