
ल्यारी कराची के सबसे पुराने बसे हुए इलाकों में से है। ल्यारी एक लंबे समय तक वर्किंग क्लास की बस्ती था, जिसमें बलूच समुदाय के लोगों की बड़ी संख्या थी। वक्त के साथ इस क्षेत्र में कई बदलाव आए हैं।
हाल ही में रिलीज हुई फिल्म धुरंधर की सोशल मीडिया पर काफी चर्चा है। इस फिल्म में पाकिस्तान के कराची शहर के ल्यारी इलाके गैंगस्टर्स की आपसी लड़ाई, पुलिस ऑपरेशन और भारतीय खुफिया एजेंसियों की यहां दखल की बात की गई है। कराची के सबसे घनी आबादी वाले इलाके ल्यारी टाउन की कई पहचान रही हैं। इसमें से एक पहचान यहां करीब दो दशक चली गैंगवार है तो वहीं फुटबॉल का शौक और कई साझा संस्कृतियों के लिए भी ये इलाका जाना जाता है।
कराची का लियारी इलाका हमेशा से दोहरी पहचान रखता है। वहां रहने वालों के लिए यह कराची की ‘मां’ है क्योंकि यह शहर की सबसे पुरानी बस्तियों में से है। इसकी पहचान वर्कर्स और ट्रक ड्राइवरों के अलावा मुक्केबाजों और फुटबॉलरों की वजह से रही है। हालांकि पाकिस्तान के बाकी हिस्सों के लिए 1990 और 2000 के दशक में ल्यारी की पहचान भारी हथियारों से लैस गैंगेस्टर के लिए बनी। ल्यारी को वसूली रैकेट का ‘मिनी ब्राजील’ और कराची का ‘जंगली पश्चिम’ कहा गया।
ल्यारी के बीते छह दशकों को देखा जाए तो एक तरफ इसका श्रमिक वर्ग है, जिसने कराची के बंदरगाहों को चलाया, चैंपियन मुक्केबाज और फुटबॉल खिलाड़ी दिए। साथ ही पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) का वफादार वौटबैंक रहा। दूसरी ओर यहां 1960 के दशक के हशीश व्यापार से उभरे गैंग का एक नेटवर्क बना, जिसमें बाद में नशीली दवाओं की तस्करी, जबरन वसूली और पानी के टैंकरों पर नियंत्रण के लिए खूब खून खराबा हुआ।
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