नई दिल्ली | क्या किसी दो साल के बच्चे का सिर का वजन 9 किग्रा हो सकता है, लेकिन एक बांग्लादेश में ऐसा ही मामला सामने आया है। दरअसल, बड़े सिर की वजह से बांग्लादेश के इमोन नाम का जन्म शल्य चिकित्सा द्वारा हुआ था। तब भी किसी को उम्मीद नहीं थी कि उम्र बढ़ने के साथ ही बच्चे के सिर का वजन एक साल के बच्चे के वजन के बराबर बढ़ जाएगा।
9 किग्रा सिर का वजन होने की वजह से दो साल का यह नन्हा बच्चा ना तो बोल पाता है और ना ही चल सकता है। इतना ही नहीं वह हिलने डूलने में भी परेशानी महसूस करता है। इसकी वजह से उसके पैरेंट्स हर वक्त उसका केयर करते हैं। बच्चे के इलाज के लिए पैरेंट्स भी आसपास के गांव के सभी डॉक्टरों को दिखाया लेकिन इस बीमारी को समझ पाने में नाकाम रहे। इसके बाद बच्चे के स्प्रीचुअल ट्रीटमेंट भी कराया लेकिन आराम नहीं मिला। बाद में डॉक्टरों को पता चला कि बच्चा हाईड्रोसेफल्स से पीड़ित है। इसके बाद डॉक्टर ने बच्चे की इलाज के लिए विदेश जाने की सलाह दी, लेकिन इमोन के पैरेंट्स ने अपनीगरीबी का हवाला देते हुएअसमर्थता जाहिर की और अपने बच्चे के भविष्य को निराशाजनक बताया।
क्या है हाइड्रोसेफल्स
मस्तिष्क में तरल पदार्थ बनता है, जो शरीर के किसी आर्गन्स के जरिए निकलता रहता है। लेकिन अगर यह तरल पदार्थ मस्तिष्क में इकठ्ठा होने लगे तो बच्चे का मस्तिष्क बढ़ने लगता है। तरल पदार्थ के भरने को ही हाइड्रोसेफल्स कहते है। इस तरल पदार्थ के बढ़ने से मस्तिष्क पर दबाव बढ़ता जाता है जो बाद में मस्तिष्क के डैमेज होने का कारण बनता है।
कारण
बर्थ डिफेक्ट की वजह से हाइड्रोसेफल्स की बीमारी होती है। इतना ही नहीं यह भी देखा गया है कि यदि मां के प्रेगनेंसी के दौरान संक्रमण हो तो भी इस बीमारी की संभावना होती है। बच्चों में ये बीमारी गर्भ से ही हो सकती है। इस बीमारी का पता गर्भ के दौरान ही चल जाता है। चिकित्सकों का मानना है कि ये एकदम लाइलाज और अनोखी बीमारी नहीं है बल्कि पांच सौ से लेकर एक हजार बच्चों के बीच में एक बच्चे का सिर सामान्य से बड़ा होता है।
भारत में भी आया था कुछ ऐसा ही मामला
2013 में त्रिपुरा की 16 महीने की उम्र में मासूम रूमा बेगम को भी हाईड्रोसेफल्स की बीमारी हुई थी। भारतीय डॉक्टर उसके सिर का आकार 94 सेंटीमीटर से घटाकर 57 सेंटीमीटर तक लाने में सफल रहे थे।