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जिंदादिली का दूसरा नाम है मैंडी, बुलंद हाैसले से दे रही खतरनाक बीमारी काे मात

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नई दिल्लीः 41 साल की मैंडी सेल्लर्स को ऐसी विचित्र बीमारी है जो 7 बिलियन लोगों में से किसी एक को ही होती है। इस बीमारी में शरीर के किसी हिस्से की हड्डी और मांस ज़रूरत से ज़्यादा बढ़ जाता है। मैंडी के साथ भी कुछ एेसा ही है। उसके पैर का वज़न बढ़कर 108 किलो हो गया था। इन्फेक्शन हो जाने के कारण उनकी एक पैर काटना पडा था, लेकिन वाे फिर से उगने लगी। अब इस बीमारी से लड़ने के लिए डॉक्टर्स ने एक ड्रग खोज निकाला है जिससे उनके पैर के आकार को घटाया जा रहा है।

डॉक्टर्स को साबित किया गलत
इस दवा की मदद से उनके पैर का वज़न 70 किलो ही रह गया है। अब उनके लिए रोज़मर्रा के काम करना जैसे कपड़े पहनना, गाड़ी चलाना, पहले से आसान हो गया है। उनके जन्म से ही डॉक्टराें काे डर था कि शायद वो कभी चल नहीं पाएंगी। उन्होंने बचपन में ही डॉक्टर्स को गलत साबित कर दिया और अब तक एक फाइटर की तरह अपनी बीमारी से बिना हार माने लड़ रही हैं।

2 साल में घटाया 38 किलो वज़न
मैंडी हमेशा से जानना चाहती थी कि वाे क्या चीज है, जिसने उन्हें एेसा बना दिया है। अब Cambridge विश्वविद्यालय ने उनके केस में रूचि ली और उनके DNA को मैप किया गया। पाया गया कि ऐसी स्थिति PIK3CA जीन के Mutation से उत्पन्न होती है। इसके चलते अाखिर मैंडी को पता ताे चला कि उनके साथ ये क्यों हो रहा है। वो कहती हैं कि वो अपनी स्थिति के साथ सहज हो गईं हैं। 2 साल में उन्होंने 38 किलो वज़न घटा लिया है। अब उन्हें चलने-फिरने में कम परेशानी होती है।

खुद पर करती है गर्व
उनके लिए ख़ास कपड़े और जूते बनवाने पड़ते हैं। उनकी गाड़ी को भी उनके लिए खास तौर पर Modify किया गया है। डॉक्टर्स अभी नहीं जानते हैं कि उनकी स्थिति में सुधार होता रहेगा या नहीं, फिर भी मैंडी सकारात्मक नज़रिया रख रहीं हैं। लोग भी उन्हें ज़िन्दगी को इस तरह जिंदादिली से जीते हुए देख अचंभित होते हैं। अपनी इस बीमारी के बावजूद मैंजी काे खुद पर गर्व है।