
हर मां-बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा तंदुरुस्त हो लेकिन कुछ बच्चे जन्म से ही किसी न किसी बीमारी का शिकार हो जाते हैं जैसे कि ऑटिज्म। ऑटिज्म एक एेसी बीमारी है जिसके लक्षण बचपन में ही दिखाई देने लगते है लेकिन कुछ पेरेट्स इन्हें अनदेखा कर देते है जिसके कारण उन्हें बाद में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। आपने देखा होगा कई बच्चे खुद में मस्त रहते हैं और किसी से ज्यादा बात नहीं करते। इसके अलावा वे दूसरे बच्चों की तुलना में कम बोलते हैं। इस तरह के बच्चे ऑटिज्म के शिकार होते है। लड़कियों के मुकाबले लड़कों को ऑटिज्म होने की संभावना चार गुना ज्यादा होती है।
क्या हैं ऑटिज्म?
हर बच्चे में इसके लक्षण अलग-अलग होते हैं इसलिए इसे ऑटिस्टिक स्पैक्ट्रम डिसऑर्डर कहा जाता है। ऑटिज्म जन्म से लेकर 3 साल की उम्र तक विकसित होने वाला एेसा रोग है जिससे बच्चे का मानसिक विकास रूक जाता है। इससे पीड़ित कुछ बच्चे बहुत जीनियस होते है लेकिन उन्हें बोलने और सामाजिक व्यवहार में दिक्कत होती हैं। वहीं, कुछ बच्चे एेसे होते हैं जो एक ही व्यवहार को बार-बार दोहराते हैं। सामान्य बच्चे की तुलना में इससे पीड़ित बच्चे का विकास धीरे होता है। इस बीमारी का शिकार बच्चे किसी के साथ खुलकर बात नहीं करते। किसी बात का जवाब देने में भी वे काफी समय लगाते हैं।
PunjabKesari
ऑटिज्म के कारण
वैसे तो ऑटिज्म का मुख्य कारण के बारे में अभी तक पता नहीं चल पाया लेकिन पर्यावरण या फिर जेनेटिक प्रभाव इसका कारण हो सकता है। शोध के मुताबिक बच्चे के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाने वाली कोई भी चीज ऑटिज्म का कारण बन सकती है। इसके अलावा समय से पहले डिलीवरी होना, प्रैग्नेंसी में थायरॉइड हॉरमोन की कमी, प्रैग्नेंसी में पौष्टिक डाइट न लेना और डिलीवरी के दौरान बच्चे को पूरी तरह से ऑक्सीजन न मिलना ऑटिज्म के कारण हो सकते है।
ऑटिज्म के लक्षण
– अगर बच्चा 9 माह का हो चुका है लेकिन वह न तो मुस्कुराता हो और न कोई प्रतिकिया करता हो तो यह ऑटिज्म का संकेत हो सकता है।
– ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे नजरें मिलाने से कतराते हैं। उन्हें अलग ही तरह की हिचहिचाहट महसूस होती हैं।
– एेसे बच्चे अपने आप में खोए रहते हैं। आवाज देने पर भी कोई ध्यान नहीं देते।
– इस तरह के बच्चे बोलते-बोलते अचानक बोलना बंद कर देते है या फिर बीच में अजीब अवाजें निकालने लगते है।
– अगर बच्चा खिलौने के साथ खेलने की बजाय उन्हें चाटे या फिर सूंघे तो सावधान हो जाएं।
ऑटिज्म के शुरूआती लक्षणों को पहचान कर डॉक्टर से मिलें और सलाह लें। वैसे इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता लेकिन रोगी को बहुत कुछ सिखाया जा सकता है ताकि वह खुद पर निर्भर हो सकें।
एेसे करें ऑटिस्टिक बच्चे की मदद
इस बीमारी से ग्रस्त बच्चे को खास देखभाल की जरूरत होती है। आप कुछ तरीकों अपनाकर उनकी मदद कर सकते है।
– ऑटिस्टिक बच्चे धीरे-धीरे बात को समझते हैं। एेसे में पहले उन्हें समझाएं फिर बाद में बोलना सिखाएं।
– खेल में उन्हें नए शब्द सिखाने की कोशिश करें।
– खिलौनों के साथ खेलने का सही तरीका बताएं।
– जितना हो सके बच्चों को तनाव से दूर रखें।
IndianZ Xpress NZ's first and only Hindi news website