
समस्त प्रणी यही चाहता है कि धन की देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद उसके ऊपर बना रहे। इसके लिए व्यक्ति पूरे विधि-विधान से लक्ष्मी को प्रसन्न करने में जुटा रहता है तो कभी दान-धर्म आदि कर पुण्य कमाता है। मगर लोग शायद ये नहीं जानते कि मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पूजन स्थान पर उचित रोशनी का होना भी बहुत अनिवार्य होता है। वास्तु के अनुसार ये नियम बहुत ही मुख्य माना जाता है, जिससे माता लक्ष्मी शीघ्र ही अपने भक्तों पर प्रसन्न हो जाती हैं।
सनातन धर्म में कहा गया है कि घर में मंदिर के होने से घर के सदस्यों पर सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। घर चाहे छोटा हो, या बड़ा, अपना हो या किराए का लेकिन हर घर में मंदिर जरूर होता है। वास्तु के अनुसार भी घर में पूजन स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण होता है क्योंकि घर की सुख-समृद्धि और धन के आवागमन पर इसका सीधा असर पड़ता है। इसके पूजा घर ईशान कोण में ही बनाया जाना चाहिए क्योंकि यही स्थान देवताओं के लिए निश्चित किया गया है। पूजा घर में पीले रंग के बल्व का उपयोग करना अधिक शुभ होता है तथा शेष कक्ष में दूधिया बल्व का इस्तेमाल करने से भी घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और व्यापार-व्यवसाय में तरक्की होती है।
वास्तु के मुताबिक, शाम के समय पूजन स्थान पर इष्ट देव के सामने प्रकाश का उचित प्रबंध होना अनिवार्य माना जाता है। इसके लिए घी का दीया जलाना अत्यंत उत्तम है। शास्त्रों में भी इस बात का वर्णन मिलता है कि संध्या के समय घर में धन की देवी लक्ष्मी का प्रवेश होता है। यदि इस समय घर में अंधेरा होता है तो मां लक्ष्मी अपना मार्ग बदल लेती हैं और बाहर की नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश कर जाती है। ऐसी अशुभ ऊर्जा को रोकने तथा घर में लक्ष्मी के वास के लिए गोधूलि बेला के समय घर में तथा पूजा स्थान पर उत्तम रोशनी रखें।
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