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महासमाधी लेने से पहले ही साईं बाबा ने दे दिया था यह संकेत


साईं बाबा के चमत्कारों को देखकर दुनियाभर के लोग उनके आगे सिर झुकाते है। साईं बाबा के सबसे बड़े शिरडी समाधि मंदिर में हर साल कई लोग आते है। साईं बाबा ने शिरडी में 1918 में समाधि ली थी। बाबा की समाधि सवा दो मीटर लंबी और 1 मीटर चौड़ी है। हर साल यहां लाखों की संख्या श्रद्धालु आते है लेकिन आज हम आपको बाबा के समाधि लेने के बारे में बताने जा रहें है। बाबा का जन्म कहां हुआ और वो कहां से आए थे यह तो कोई नहीं जानता लेकिन उनकी जिंदगी के बारे में कुछ लोग अच्छी तरह जानते है। बाबा ने अपनी सारी जिंदगी शिरडी में गुजार दी और अपनी समाधि भी बाबा ने इसी जगहें पर ली। तो आइए जानते है बाबा साईं ने अपनी महासमाधी को इस तरह तैयार किया।
कहा जाता है कि बाबा ने समाधि लेने से कुछ साल पहले ही लोगों को इसका संकेत दे दिया था। 1886 में बाबा ने महालसापति को 3 दिन तक उनके शरीर को संभालने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि अगर में वापस नहीं लोटा तो उस जगहें पर उन्हें सम्मान देने के लिए 2 झंडे लगा दें। इतना कहकर बाबा ने अपना शरीर छोड़ दिया। चिकित्सकीय रूप से उन्हें मृत घोषित कर दिया लेकिन महालसापति ने बाबा कहें अनुसार उनके शरीर को नहीं छेड़ा। तीन दिन बाद बाबा साईं अपने शरीर में वापस आए और कहा, ‘मैं अल्लाह के पास हमेशा के लिए रहने गया था, लेकिन मेरे दोस्त गधधारी (रामकृष्ण परमहंस) अल्लाह तक भी पहुंचना चाहते थे, इसलिए मैं वापस आया।’
इसके बाबा ने दशहरे से पहले भक्तों को अपनी समाधि लेने की बात कही और कहा, ‘यह दिन दुनिया से विदा होने के लिए सबसे अच्छा है’ इसके बाद उनके शरीर का तापमान बढ़ने लगा और उन्होंने 1918, 15 अक्टूबर को दशहरे के दिन समाधि ले ली। बाबा ने समाधि लेने से पहले लोगों को दो संकेत दिए थे। पहला 1886 में और दूसरा महासमाधि लेने से कुछ दिन पहले। उनके सामाधि लेने के बाद उस जगहें पर मंदिर बना दिया गया, जोकि आज शिरडी धाम के नाम से मशहूर है।