
वॉशिंगटनः उत्तर कोरिया के सनकी किंग किम जोंग उन द्वारा बेशक अपनी परमाणु साइट बंद करने और आगे कोई परमाणु परीक्षण न करने का एेलान कर दिया गया है लेकिन अमरीका अभी भी उसकी बात पर यकीन करने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कुछ सैटेलाइट इमेज जिस कारण अमरीका और उसकी विशेषज्ञों की टीम के मन में उत्तर कोरिया की मंशा को लेकर सवाल उठ रहे हैं। यह सैटेलाइट तस्वीरें उस वक्त की हैं जब अमरीकी खुफिया एजैंसी CIA के डायरैक्टर माइक पोंपियो उत्तर कोरिया गए थे। यह सैटेलाइट तस्वीरें चीन से लगती उत्तर कोरिया की सीमा की है।
बता दें कि यालू नदी उत्तर कोरिया- चीन की सीमाओं के बीच से बहती है। इस नदी पर दोनों देशों के बीच एक पुल भी चोंग्सू इलाके में बना हुआ है। इसी नदी के किनारे एक कंस्ट्रक्शन साइट को लेकर अमरीका को शक हो रहा है। सैटेलाइट इमेज को माध्यम बनाते हुए कहा गया है कि उत्तर कोरिया के अधिकारी सीमा पार जा रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक उत्तर कोरिया चोंग्सू में एक लाल छत वाली इमारत को देखा गया है। माना जा रहा है कि यह एक फैक्टरी है जो अवैध तरीके से अतिशुद्ध रूप के ग्रेफाइट बनाने में लगी है। यह इसलिए बेहद खास है क्योंकि यह न्यूक्लियर रिएक्टर बनाने के लिए जरूरी होता है। एक ताजा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वह इस न्यूक्लियर ग्रेड के ग्रेफाइट को दूसरे देशों को बेचने में लगा हुआ है।
हालांकि सीआईए अभी इस इमारत को लेकर किसी भी तरह की पुष्टि नहीं कर रहा है, लेकिन यह इमारत अमरीका के शक के दायरे में है। यह सब उस वक्त सामने आया है जब उत्तर कोरिया की तरफ से अपनी न्यूक्लियर साइट्स को बंद करने ओर आगे कोई परमाणु परीक्षण न करने की बात कही गई है। इसका अमरीका समेत दूसरे देशों ने भी स्वागत किया है। हालांकि जापान को इस बात पर कोई विश्वास नहीं है। ऐसा ही कुछ अमरीकी विशेषज्ञ भी कह रहे हैं।
अमरीका के हथियार विशेषज्ञ इंटरनैशनल सिक्योरिटी स्टडीज के रॉबर्ट लिटवॉक मानते हैं कि अमरीका को इस मुद्दे पर संभलकर आगे बढ़ने की जरूरत है, क्योंकि इस मामले में उत्तर कोरिया का इतिहास सही नहीं है। वही उत्तर कोरिया का इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि वह जो कहता है उस पर विश्वास करना सही नहीं होता है। रॉबर्ट का यह भी कहना है कि किम की फैमिली और उनके पूर्व के व्यवहार को देखते हुए भी विश्वास करने के बावजूद संभलकर रहना बेहद जरूरी है।
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