
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में सत्ता से बेदखल किए गए प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जावेद इकबाल को वीरवार को एक कानूनी नोटिस भेजा। उन्हें एक बयान जारी करने के लिए उन्होंने नोटिस भेजा जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री पर 4.9 अरब डॉलर भारत भेजने का आरोप है।
एनएबी की प्रेस विज्ञप्ति के जवाब में यह नोटिस जारी किया गया। एक स्थानीय अखबार ने विश्व बैंक के 2016 के माइग्रेशन एवं रेमिटेंस बुक का हवाला देते हुए खबर छापी जिसमें बताया गया कि शरीफ परिवार के धनशोधन के कारण भारत के विदेशी मुद्रा भंडारण में 4.9 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई। अखबार ने खबर प्रकाशित की है कि अपने वकील मंजूर डोगल के मार्फत एनएबी अध्यक्ष को भेजे गए नोटिस में शरीफ ने प्रेस विज्ञप्ति को आगामी चुनावों को प्रभावित करने का प्रयास बताया।
पीएमएल-एन के शीर्ष नेता ने मांग की कि ‘‘ अपमानजनक ’’ प्रेस विज्ञप्ति के लिए इकबाल माफी मांगें और अगले 14 दिनों में क्षतिपूर्ति के रूप में एक अरब रुपए का भुगतान करें। उन्होंने मांग की कि एनएबी अध्यक्ष का माफीनामा सभी प्रमुख उर्दू और अंग्रेजी अखबारों में छापा जाए। कानूनी नोटिस के मुताबिक, एनएबी के अध्यक्ष अगर माफी नहीं मांगते हैं या क्षतिपूर्ति का भुगतान नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। शरीफ की तरफ से 17 मई को एक अन्य वकील ए . के . डोगर ने इकबाल को नोटिस भेजा था।
विश्व बैंक के ‘‘त्रुटिपूर्ण’’ रिपोर्ट के आधार पर अखबार में छपे लेख का संज्ञान लेते हुए एनएबी ने कहा था कि वह देख रहा है कि क्या पद से हटाए गए प्रधानमंत्री शरीफ भारत में कथित तौर पर भेजे गए 4.9 अरब डॉलर मामले में संलिप्त हैं। विश्व बैंक ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि ‘‘ रिपोर्ट में न तो धनशोधन का जिक्र है न ही किसी व्यक्ति का नाम लिया गया है।’’ वहीं स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने कहा था कि विश्व बैंक की रिपोर्ट ‘‘अनुमान’’ पर आधारित है जिसमें कोई वास्तविकता नहीं है।
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