बीजिंगः अमेरिका से चल रहे कारोबारी विवाद से तंग चीन ने भारत से सहयोग मांगा है। बुधवार को भारत में चीनी दूतावास के प्रवक्ता काउंसलर जी रॉन्ग ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और उचित तरीके से कारोबार के नाम पर एकतरफा ढंग से व्यापार में संरक्षणवाद से न केवल चीन की आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो रही है, बल्कि इससे भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रास्ते में भी अड़चनें आ रही हैं।
रॉन्ग ने कहा, ‘दो सबसे बड़ी विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाएं चीन और भारत सुधार के महत्वपूर्ण चरण में हैं। दोनों को एक स्थिर बाहरी माहौल की जरूरत है.’ उनसे चीन और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर विवाद के बारे में पूछा गया था। पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के 200 अरब डॉलर के आयात पर अतिरिक्त शुल्क लगाया था। इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिका के 60 अरब डॉलर के आयात पर शुल्क लगाने की घोषणा की थी।
अमेरिका ने चेताया है कि अगर चीन फिर से जवाबी कदम उठाता है, तो वह चीन के 260 अरब डॉलर के और उत्पादों पर अतिरिक्त आयात शुल्क लगाएगा। ऐसे में चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा, ‘मौजूदा परिस्थितियों में चीन और भारत को आपसी सहयोग को और मजबूत करने की जरूरत है ताकि वे व्यापार में संरक्षणवाद का मुकाबला कर सकें।
उन्होंने कहा कि अमेरिका को भारत और चीन जैसे विकासशील देशों में मानवाधिकार और धार्मिक मामलों के नाम पर हस्तक्षेप करने की नीति को देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन द्वारा दक्षिण चीन सागर का ‘सैन्यकरण’ करने की बात तथ्यों के साथ गड़बड़ी है। अमेरिका को संकट और तनाव पैदा करने के कदमों को बंद करना चाहिए।