
65 दिन के लम्बे इंतजार के बाद नया साल मनाने की रात फिर से आ रही है। ठंडी हवाओं का चलना, नई कलियों का खिलना और प्रकृति का नवयौवना सा रूप नववर्ष के आगमन का संदेश देता है। जब सारी पृथ्वी पूरी मस्ती में होती है, तो भला युवा होती नई पीढी कैसे गुमसुम रह सकती है और रहे भी क्यों। नए साल का स्वागत करना हमारा कत्र्तव्य है और परिवर्तन हमारा जीवन। सिर्फ ध्यान इस बात का रखना है कि मस्ती में कहीं कुछ गलत ना हो जाएं। आज वैश्विक एकता का युग है। संपूर्ण संसार के देशों ने एकदूसरे को किसी ना किसी रूप में प्रभावित किया है, कभी सांस्कृतिक तौर पर, तो कभी बाजार बन कर। इसीलिए तो नववर्ष आज सारी दुनिया का त्यौहार बन गया है। इस दिन सभी कुछ नया करने की चाहत रखते हैं।
बात जब भी नवीनता को अपनाने की होती है, तो आलोचनाओं के तीर पसोपेश में डाल देते हैं। सामाजिक बंधन अपनी धारा से हटना नहीं चाहते और युवा मन नवीनता की चाह में सारे बंधन तोड देना चाहता है।
बुराई संस्कृति में नहीं, उसे अपनाने के तरीके में होती है। इसलिए किसी भी शैली को दोष देने के बजाय उस के मूल में छिपे उत्तम आधार का सार अपनी संस्कृति के अनुसार ढाल कर अपनाना चाहिए। शैली कोई भी हो, बुरी नहीं होती। उद्देश और लक्ष्य निर्धारित होना चाहिए।
मनोरंजन ना बने मनोभंजन
मनोभंजन ना बन जाए। आनंद की अंधी खोज कहीं गमों के अंधेरे में खोने को मजबूर ना कर दे।
एक कहावत है कि नया नौ दिन पुराना सौ दिन। कहावत भले ही पुरानी है, किन्तु शब्दों की सार्थकता आप भी उतनी ही है जितनी इस कहावत के जन्म के समय थी। सचाई मापने के लिए हम किसी भी मामले को ले सकते हैं, फिर चाहे वह वस्तुओं की उपयोगिता हो या गुणों की गुणवत्ता, प्राय: मजबूत आधार को ही स्थान प्राप्त हुआ है। नवीनता अपनेआप में एक उत्साह व उमंग जगाती है। निश्चय ही यह प्रगति का पैमाना भी है। यह उदास मन को प्रसन्न करने की एक प्रेरणा भी है। नवीन उपायों की खोज ने ही हमें सुविधायुक्त आधुनिक जीवन दिया हैप नया करने की चाह ही नया संसार बनाती है। नई सोच, नए विचार हमें परिपक्व और साहसी बनाते हैं। नया तरीका, नई संस्कृति, नया रूप एक नई जीवनशैली बनाते हैं।
लेकिन नवीनता उस रूप में ही सब के द्वारा अपनाने लायक होती है, जिस में शालीनता हो तथा जिस में सब के भले की भावना हो। कोई भी नया दौर संपूर्ण सतुष्टि नहीं दे सकता। किसी भी नवीन कल्पना के अच्छे-बुरे दोनों पहलुओं का होना शाश्वत सत्य है। ये एक दूसरे के पूरक भी होते हैं, किन्तु इन के मध्य का संतुलन ही समाज में पल्लवित हो सकता है और अपना स्थान बना सकता है। नववर्ष नई रूचियों को अपना कर भी मनाया जा सकता है। अच्छे नवीन कार्यों का संकल्प नई स्फूर्ति दे सकता है। सामाजिक सेवा से जुडे कार्यों का आरंभ भी नया नाम देता है। संबंधों की नई पहल से नया उत्साह जागजा है। उगते सूरज से स्वास्थ्य की कामना करना भी नववर्ष के आरंभ का सुंदर आधार बन सकता है। विभिन्न सांस्कृतिक कलाओं का सामूहिक आयोजन जागरूकता और एकता को बढावा देता है, जो नववर्ष को यादगार भी बना सकता है।
IndianZ Xpress NZ's first and only Hindi news website