
ब्रेक्ज़िट मामले में ब्रिटिश प्रधानमंत्री थैरेसा मे को ब्रिटेन संसद में मतदान दौरान बड़ी हार का सामना करना पड़ा। 15 जनवरी संसद में ब्रेक्ज़िट (ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर होने का प्रस्ताव) पर मतदान से पहले इस शिकस्त को थरेसा में के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। खबरों के मुताबिक ब्रेक्ज़िट का विरोध कर रहे सांसदों ने एक प्रस्ताव पेश किया था जिसमें बिना किसी कारोबारी समझौते के यूरोपीय संघ न छोडऩे का प्रावधान है।
इस प्रस्ताव के हक में 303 जबकि विरोध में 296 वोट पड़े। इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद विपक्षी लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने कहा कि यह एक बड़ी जीत है। अब बिना समझौते के यूरोपीय संघ से ब्रिटेन तभी अलग हो सकेगा जब संसद उसकी मंजूरी देगी और ऐसा करा पाने के लिए संसद में सरकार के पास बहुमत नहीं है। ग़ौरतलब है कि थेरेसा मे की सरकार ने यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने की सूरत में जिस कारोबारी समझौते का मसौदा तैयार किया है उस पर ज़्यादातर सांसद सहमत नहीं है।
सरकार उस पर आम राय बनाने की कोशिश कर रही है लेकिन इसमें अब तक सफलता नहीं मिली है। वह अगर आगे भी संसद काे अपने प्रस्तावित समझौते पर राजी नहीं कर पाती तब भी ब्रिटेन आने वाली 29 मार्च यूरोपीय संघ से अलग होगा। उसे ही ‘नो-डील ब्रेक्ज़िट’ कहा जा रहा है और विपक्ष ने अपने प्रस्ताव से इसी को अटकाया है। यानी अब सरकार को ‘नो-डील ब्रेक्ज़िट’ के लिए भी संसद से मंज़ूरी लेनी होगी।
विपक्ष के मौज़ूदा प्रस्ताव के पारित होने के बाद माना जा रहा है कि यह मंज़ूरी शायद सरकार को न मिले। ऐसे में सरकार को अपने प्रस्तावित समझौते में विपक्ष की मंशा के अनुरूप परिवर्तन करने होंगे। दोनों ही हालत में थेरेमा मे की सरकार की किरकिरी होना तय माना रहा है। हालांकि सरकार के प्रवक्ता ने ऐसी किसी संभावना से साफ इंकार किया है।
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