
दर पोर्ट को विकसित कर रहे पाकिस्तान के लिए अब सऊदी अरब ग्वादर बंदरगाह में 10 बिलियन डॉलर (करीब 7 खरब रुपए) की लागत से ऑयल रिफाइनरी तैयार करेगा। यह जानकारी सऊदी के एनर्जी मिनिस्टर ने शनिवार को दी। माना जा रहा है कि सऊदी कहीं न कहीं चीन के BRI प्रॉजेक्ट को भी सपोर्ट कर रहा है। चीन के लिए BRI बिजनैस प्रॉजेक्ट से ज्यादा राजनीतिक मामला है। BRI को लेकर भारत कई बार चीन के सामने अपना विरोध दर्ज करा चुका है। अब इस प्रॉजेक्ट में सऊदी का पैसा भी इस्तेमाल होगा। यदि कहें कि इस प्रॉजेक्ट को सऊदी का समर्थन है, तो गलत नहीं होगा।
तेल की बढ़ती कीमतों के बाद अपने बढ़ते नुकसान को कम करने के लिए पाकिस्तान निवेश को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है। पिछले साल सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 6 बिलियन डॉलर का पैकेज दिया था। सऊदी के एनर्जी मिनिस्टर खलिद अल-फलीह ने ग्वादर में रिपोर्टर से कहा, ‘ऑयल रिफाइनरी की स्थापना कर सऊदी अरब चाहता है कि पाकिस्तान के आर्थिक विकास में स्थिरता आए और सीपीईसी (चीन पाक इकनॉमिक कॉरिडोर) में पाकिस्तान का सहभागी बने।’
बता दें कि ग्वादर बंदरगाह CPEC का टर्मिनल है। इस बंदरगाह के जरिए चीन को गल्फ देशों में आसानी से प्रवेश मिलेगा। पेइचिंग पहले ही CPEC को डिवेलप करने के लिए 60 बिलियन डॉलर का खर्च कर चुका है। CPEC का रास्ता पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है। भारत इसी कारण इस प्रॉजेक्ट का विरोध कर रहा है। सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिल सलमान इससे संबंधित दस्तावेजों को साइन करने के लिए फरवरी में पाकिस्तान आएंगे। सऊदी में मंत्री ने कहा कि सऊदी अरब पाकिस्तान में अन्य सेक्टरों में भी निवेश करेगा।
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