वैसे तो आज के समय में हर कोई झूठ का सहारा लेता है। लेकिन इस बात का पता भी सबको होतो ही है कि झूठ ज्यादा देर तक छिपता नहीं, कभी न कभी वो सामने आ ही जाता है। समाज में झूठ बोलने वालों को कोई पसंद नहीं करता और झूठ बोलने वालों को भगवान भी कभी माफ़ नहीं करता है। आज हम आपको ऐसी ही एक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं जोकि माता पार्वती के झूठ के साथ जुड़ी हुई है और उस झूठ के बदले में भोलेनाथ ने माता का त्याग कर दिया था। तो चलिए जानते है उस कथा के बारे में-
शिव महापुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार जब माता पार्वती और शिव अगस्त मुनि से कथा सुनकर कर लौट रहे थे। उसी दौरान भोलेनाथ ने देखा कि उनके आराध्यदेव भगवान राम माता सीता के वियोग में भटक रहे हैं। उन्हें देखने के बाद शिव ने उन्हें प्रणाम किया, मगर माता पार्वती के मन में राम की परीक्षा लेने का विचार आया। भोलेनाथ से आग्रह कर वे प्रभु राम की परीक्षा लेने पहुंचीं। लेकिन पार्वती को देखते ही भगवान राम ने पार्वती को माता का संबोधन देते हुए कहा कि आप यहां, भोलेनाथ कहां हैं?
माता पार्वती मजाक के मूड में ही थीं। भगवान द्वारा पहचाने जाने और माता शब्द के संबोधन को छिपाते हुए पार्वती ने शिव से झूठ का सहारा लिया और वापिस आकर उन्होंने शिव जी से कहा कि भगवान राम ने नहीं पहचाना। लेकिव भोलेनाथ तो अंतर्यामी हैं उन्हें सच का पता चल गया कि राम ने उन्हें माता के नाम से संबोधित किया है तो उन्होंने माता पार्वती के झूठ बोलने पर उनका त्याग कर दिया।
लेकिन इसके पीछे एक ओर मान्यता है कि भगवान राम विष्णु के अवतार हैं और उन्होंने पार्वती जी को माता कहा था, अत: अपने आराध्य देव की माता मानकर शिव ने पत्नी रूप से त्याग दिया था।