
पेयजल समस्या से निपटने के लिए संयुक्त संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) एक ऐसा अनोखा तरीका अपनाने जा रहा है जिसे जानकर दुनिया हैरान रह जाएगी है। यूएई की एक कंपनी अंटार्कटिका से बर्फ का एक विशाल पहाड़ खींचकर देश के तटीय क्षेत्र तक लाने की योजना पर काम कर रही है। बता दें कि इस प्रक्रिया में बर्फ के पहाड़ को तकरीबन 12,000 किमी की दूरी तय करनी होगी। इस योजना पर करीब साढ़े तीन अरब रुपए खर्च आएगा।
जानकारों का कहना है कि अगर यूएई की यह योजना सफल हो जाती है तो इससे देश को पेयजल संकट के साथ ही कम बारिश की समस्या से भी निजात मिल सकती है। योजना पर काम कर रही कंपनी नेशनल एडवाइजर ब्यूरो लमिटेड का कहना है कि एक बड़े आइसबर्ग में औसतन 20 अरब गैलन पानी होता है, जिससे पांच साल तक 10 लाख लोगों की प्यास बुझ सकती है। गल्फ न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘यूएई आइसबर्ग प्रोजेक्ट’ के तहत यूएई के तट पर विशालकाय आइसबर्ग की मौजूदगी से शुष्क भूमि पर ज्यादा बारिश की उम्मीद बढ़ेगी।
कंपनी 2020 तक आइसबर्ग को यूएई के तटीय क्षेत्र तक लाने की योजना बना रही है। . कंपनी के मुताबिक, आइसबर्ग के आसपास के क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन की संभावना रहती है। खींचकर लाया जाने वाला आइसबर्ग अरब सागर के ऊपर बादलों को आकर्षित करेगा। इससे एक भंवर पैदा होगा, जो बारिश कराएगा। इससे क्षेत्र में स्वच्छ जल उपलब्ध कराने में भी मदद मिलेगी और यूएई दुनिया को जलापूर्ति करने वाला केंद्र भी बन सकता है। दक्षिणी ध्रुव स्थित हर्ड आइसलैंड से आइसबर्ग को कई जहाज खींचकर 12 हजार किमी दूर फुजेराह के तट पर ले जाएंगे।
अरेबियन बिजनेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी एक खास तकनीक का इस्तेमाल कर इस परियोजना की लागत में कमी लाएगी।साथ ही अंटार्कटिका से यूएई की यात्रा के दौरान आइसबर्ग की बर्फ कम पिघलेगी और ग्राहकों को कम कीमत में पानी उपलब्ध कराया जाएगा। कंपनी ने इस तकनीक के पेटेंट के लिए ब्रिटेन में आवेदन कर दिया है। इसके लिए कंपनी एक समिति गठित कर रही है, जिसमें अंटार्कटिका, आइसबर्ग और समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में महारत रखने वाले वैज्ञानिकों को शामिल किया जा रहा है।साथ ही जल अनुसंधान केंद्रों और दुनिया भर के विश्वविद्यालयों से भी सहयोग मांगा गया है।
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