
अमेरिका ने ईरान में अपने निगरानी ड्रोन गिराने के बाद इसके जबाव में ईरान की मिसाइल नियंत्रण प्रणाली और एक जासूसी नेटवर्क पर साइबर हमले किए हैं। अमेरिकी समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि हमले से राकेट और मिसाइल प्रक्षेपण में इस्तेमाल होने वाले कंप्यूटरों को नुकसान पहुंचा है। वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी साइबर कमान ने यह हमला राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मंजूरी के बाद 20 जून की रात को किया।इस हमले ने मिसाइल और रॉकेट लॉन्च को कंट्रोल करने वाले ईरानी कम्प्यूटर सिस्टम को डिसेबल कर दिया।
रिपोर्ट में मामले से जुड़े 2 लोगों के हवाले से बताया गया है कि इस साइबर हमले की तैयारी कुछ हफ्ते पहले से चल रही थी। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने इस महीने स्ट्रेट ऑफ होरमूज में कथित तौर पर दो तेल टैंकरों पर ईरान के हमले के बाद इस हमले का सुझाव दिया था। अमेरिका ने जिस ईरानी कम्प्यूटर सिस्टम पर हमला किया है, वो इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कोर्प्स (IRGC) का है।. IRGC ने ही 20 जून की सुबह अमेरिकी ड्रोन RQ-4A ग्लोबल हॉक को मार गिराया थ जिससके बाद ईरान और अमेरिका के बीच तनाव काफी बढ़ गया । अपना ड्रोन गिराए जाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ईरान पर सैन्य कार्रवाई का मन बना चुके थे, लेकिन आखिरी वक्त में उन्होंने अपने कदम पीछे खींच लिए थे।PunjabKesari
ट्रंप ने ट्वीट कर इसकी वजह भी बताई थी।उन्होंने कहा था, ”हम (ईरान पर) जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार थे। मगर जब मैंने पूछा कि इस हमले में कितने लोग मरेंगे तो जनरल ने जवाब दिया- 150, ऐसे में हमले से 10 मिनट पहले मैंने इसे रोक दिया। मानवरहित ड्रोन को गिराए जाने के जवाब में यह कार्रवाई सही नहीं होती।.” इसके साथ ही ट्रंप ने बताया था कि अमेरिका ने ईरान पर और प्रतिबंध लगा दिए हैं। उन्होंने ईरान पर 24 जून को नए प्रतिबंध लगाने की भी बात कही है। ईरान ने 22 जून को कहा कि वो अमेरिका की किसी भी आक्रामकता या खतरे का जोरदार जवाब देने के लिए तैयार है।
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