
अमेरिका और तालिबान ने शनिवार को एक बार फिर से शांति वार्ता शुरू की। तालिबान के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी। अमेरिका चाहता है कि अफगानिस्तान में इस साल सितंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले यह शांति समझौता हो जाए। तालिबान के प्रवक्ता ज़बीउल्लाह मुजाहिद ने ट्वीट किया, ‘‘अमेरिका के प्रतिनिधियों और इस्लामिक अमीरात के वार्ता दल के बीच सातवें दौर की बातचीत दोहा में शुरू।”
वार्ता शुरू होने के डेढ़ घंटे बाद मुजाहिद ने पुरुषों के एक समूह की वीडियो पोस्ट की, जिसमें हथियारों से लैस कुछ नकाबकोश पहाड़ों के बीच बैठे नजर आ रहे हैं। यह समझौता होने पर अमेरिका करीब 17 साल बाद अफगानिस्तान से अपने सैनिक वापस बुला सकता है। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने मंगलवार को अपने काबुल दौरे की घोषणा करते हुए कहा था कि वह ‘‘एक सितम्बर से पहले” शांति समझौता होने की उम्मीद करते हैं।
अमेरिकी प्रतिनिधियों और तालिबान के बीच शुरू यह वार्ता चार अहम मुद्दों पर केंद्रित है-आतंकवाद, विदेशी सैनिकों की अफगानिस्तान में मौजूदगी, अफगान वार्ता और हमेशा के लिए युद्धविराम। अमेरिकी अधिकारी पहले ही उम्मीद जता चुके हैं कि अफगानिस्तान में भावी राष्ट्रपति चुनाव से पूर्व शांति वार्ता पूरी कर ली जाएगी।राष्ट्रपति चुनाव में दो बार से विलंब हो रहा है और इस बार सितंबर में होने की संभावना है।
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो मंगलवार को अचानक काबुल पहुंचे और शांति वार्ता पर उम्मीद जताते हुए कहा कि इस डील को 1 सितंबर से पहले पूरा कर लिया जाएगा। बीते छह चरण की अमेरिका-तालिबान वार्ता संयुक्त अरब अमीरात और कतर में आयोजित की गई हैं। इस महीने की शुरुआत में अफगान सरकार ने लगभग 900 तालिबानी कैदियों को रिहा करने की घोषणा कीय़ अब तक के आंकड़े बताते हैं कि करीब 400 कैदियों को रिहा किया जा चुका है।
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