
मौसम की दृष्टि से देखें तो शरद पूर्णिमा उष्ण से शीतलता का प्रवेश द्वार है और भाव दृष्टि से देखें तो भी यह त्यौहार भीतर अशांति की और बाहर दुर्भावनाओं की तपन मिटाकर शांति और प्रेम का आह्वान है। श्रीकृष्ण कृपा धाम वृंदावन का वार्षिक उत्सव है शरद पूर्णिमा। इस उत्सव पर जहां देश-विदेश से हजारों भक्त अपना प्रेम-सद्भाव प्रकट करने वृंदावन आते हैं। अनेक महान संतों के आशीर्वचन भी सबको सुलभ होते हैं। जिसमें गीता पाठ, प्रार्थना, ध्यान, भजन भाव, हास्यरस, संत आशीर्वचन के साथ-साथ हजारों भक्तजनों द्वारा सामूहिक रूप में श्रीधाम वृंदावन की दिव्य परिक्रमा होती है।
कुछ विद्वान मानते हैं शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी का जन्मदिन होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस रोज़ धन की देवी मां लक्ष्मी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुई थी इसलिए ये दिन उन्हें समर्पित है। शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को इन भोज्य पदार्थों का भोग लगा कर उसे प्रसाद के रूप में बांटने एवं स्वयं खाने से धन-धान्य में इज़ाफ़ा होता है और वो दिल खोलकर अपने भक्तों के घर खजाना लुटाती हैं।
रात में चांदी के बरतन में गौ दुग्ध, घृत एवं अरवा चावल से बनी खीर चांदनी में रात भर रखने से वह महाऔषधी बन जाती है। प्रात: काल इस खीर का सेवन करने से 32 प्रकार की पित्त संबंधी बीमारियों में लाभ होता है।
समुद्र मंथन के समय मां लक्ष्मी के साथ चंद्रमा की भी उत्पत्ति हुई थी इसलिए इन दोनों में भाई-बहन का रिश्ता है। मखाने व बताशे का चंद्रमा से खास संबंध है। अत: इन दोनों वस्तुओं का मां को भोग लगाएं।
मीठा पान मां को खिलाएं।
गाय के दूध से बने दही का भी भोग लगाएं।
जल सिंघारा पानी से पैदा होता है और मां लक्ष्मी का जन्म भी जल से हुआ है इसलिए मां को ये फल बहुत प्रिय है।
IndianZ Xpress NZ's first and only Hindi news website