
धर्म व भगवान में आस्था रखने वाले लोग पूजा-अर्चना में अधिक मानते हैं। हिंदू धर्म में कहा जाता है देवी-देवता की पूजा से एक तरफ़ जहां मन को शांति मिलती है तो दूसरी ओर मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है। यही कारण है कि हम नियमित रूप से पूजा-अर्चना करने में विश्वास रखते हैँ। लेकिन कुछ लोगों का कहना होता है कि वे पूरी सच्ची भावना से ईश्वर का स्मरण करते हैं फिर भी उन्हें उनकी कृपा प्राप्त नहीं होती। बता दें इसका कारण है हमारे द्वारा कुछ ऐसी बातों को नज़रअंदाज़ करना हो सकता है। क्योंकि शास्त्रों में ऐसी कुछ बातें बताई गई हैं जिनका अगर इंसान ध्यान नहीं रखता तो उसकी पूजा अधूरी ही रह जाती है। तो आइए जानते हैं पूजा-अर्चनी की सही विधि-
घर में छोटे मंदिर की स्थापना
हर किसी को घर में मंदिर स्थापित करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जो भी प्रतिमा रखें, उनकी प्राण-प्रतिष्ठा ज़रूर हो।
शास्त्रों के अनुसार अगर जातक अपनी राशिनुसार, देवी या देवता की नियमित पूजा करता है, तो इससे जातक की ख्याति दूर-दूर तक फैलती है और कार्यसिद्धि की प्राप्ति भी होती है।
ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि जिन घरों में नियमित तुलसी का पूजन होता है, उस घर के सदस्य खासकर परिवार के मुखिया और स्त्री विशेष रूप से लाभ कमाते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक गौमाता के भीतर सभी देवी-देवताओं का वास है। इसलिए इन्हें है कि रोटी, हरा चारा खिलाना चाहिए। मान्यता है इससे जीवन में सुखों की प्राप्ति होती है, घर में देवी लक्ष्मी और सरस्वती का वास होता है तथा घर में सुख समृद्धि आती है।
हनुमान यज्ञ
इतना तो सब जानते ही होंगे कि हिंदू धर्म में हनुमान पूजन और यज्ञ का विशेष महत्व है। कहा जाता है अगर किसी के घर में बहुत प्रयासों के बाद भी बरकत न आ रही हो तो ऐसे में हनुमान जी की आराधना करना लाभकारी मानी जाती है। इसके अलावा घर में हर तीसरे माह हनुमान यज्ञ या साल में एक बार सुंदरकांड का पाठ भी करवा सकते हैं। माना जाता है इससे मनुष्य के ऊपर से सभी बुरे प्रभाव खत्म हो जाते हैं।
मंत्र जप
कहा जाता है प्रसिद्धि पाने के लिए रोज़ाना हनुमान चालीसा, 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप तथा गायत्री मंत्र का जाप करना लाभकारी माना जाता है। धार्मिक मतानुसार, हनुमान चालीसा, रामचरित मानस, महामृत्युजंय मंत्र, गायत्री मंत्र के निरंतर से समाज में मा-सम्मान की प्राप्ति होती है।
दान करें
जितना हो सके व गरीब-असहाय लोगों को भोजन दें, वस्त्र दान दें, अनाज दान करें, बच्चों को शिक्षित कराने के लिए दान दें।
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