
नवग्रह किसी भी व्यक्ति की कुंडली को संचालित करते हैं। प्रत्येक ग्रह के शुभ-अशुभ प्रभाव के अनुसार ही जीवन चलता है। मंगल ग्रह नवग्रह में सेनापति की भूमिका निभाते हैं। जब कुंडली के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम अथवा द्वादश भाव में मंगल अवस्थित होते हैं तो जातक मंगली माना जाता है। इन पर मंगल ग्रह का निहायत प्रभाव होता है। यदि ये अशुभ फल देने लग जाएं तो धन संबंधी परेशानियां सिर उठाने लगती हैं। इसके अतिरिक्त होते हैं ये बुरे प्रभाव, जो मंदभाग्य का सूचक बनते हैं।
उधार लिया हुआ धन बढ़ता जाता है। खर्चों पर नियंत्रण नहीं रहता, अनावश्यक खर्च होते रहते हैं, जिससे आर्थिक हालात दिन-प्रतिदिन बिगड़ने लगते हैं।
भूमि संबंधी किसी भी काम में हाथ डालने पर निराशा हाथ आती है। सोने में हाथ डालने पर भी वो मिट्टी बन जाता है।
बनता-बनता मकान रूक जाता है। धन हाथ में होने पर भी अपना घर बनाने का सपना पूरा नहीं हो पाता।
खून संबंधित रोग अपनी चपेट से निकलने नहीं देते, डॉक्टरी इलाज भी काम नहीं आता।
सारे बदन में दर्द बना रहता है।
वैवाहिक सुख से वंचित रहना पड़ता है।
बचें मंगल के प्रभाव से
इन सभी समस्याओं से निजात पाने के लिए भात पूजा करें।
प्रत्येक मंगलवार मंगल देव का पूजन करें।
दरिद्र व्यक्ति की सहायता करें।
भूखे व्यक्ति को भोजन खिलाएं।
प्रतिदिन शिवालय जाकर शिवलिंग और शिव परिवार पर जल अर्पित करें।
ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देकर प्रसन्न करें।
मंगलवार को करें इन चीजों का दान
मसूर की दाल, लाल कपड़ा, लाल रंग का गुलाब, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गुड़, गेहूं, सोना, लाल कनेर के फूल।
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