कोरोना वायरस ने दुनिया में 1,26,779 लोगों की जान जा चुकी है और 20,00,933 लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश भी इसके आगे घुटने टेकते दिख रहे हैं। दूसरी ओर ऐसे देश इस लड़ाई में आगे निकलते दिख रहे हैं जिनकी कमान महिला नेताओं के हाथ में है। जर्मनी हो या न्यूजीलैंड, महिला लीडर्स के देश अपने लोगों को बचाने में बेहतर साबित होती दिख रही हैं।
न्यूजीलैंड
पर्यटन पर निर्भर करीब 5 करोड़ की आबादी वाले न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जसिंडा अर्डन ने 19 मार्च को ही देश की सीमाएं बंद कर दीं और 23 मार्च को चार हफ्ते के लिए लॉकडाउन का ऐलान कर दिया। गैर-जरूरी वर्कर्स के लिए राशन या एक्सरसाइज के अलावा घर से बाहर निकालना बंद कर दिया गया। जसिंडा ने बताया कि लोगों की सेहत पर यह सदी का सबसे बड़ा खतरा है और किवी शांति से मिल-जुलकर डिफेंस की दीवार बनाकर लड़ रहे हैं।
जर्मनी
8.3 करोड़ की आबादी वाले जर्मनी में इन्फेक्शन के 1,32,000 मामले सामने आए लेकिन मरने वालों का आंकड़ा दूसरे यूरोपीय देशों की तुलना में काफी कम रहा। पूरे यूरोप में सबसे ज्यादा इंटेंसिव केयर बेड्स हैं और सबसे बड़ा कोरोना वायरस टेस्टिंग प्रोग्राम भी। हीडलबर्ग के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में वायरॉलजी के अध्यक्ष हान्स क्रॉशलिक ने बताया, ‘शायद जर्मनी में हमारी सबसे बड़ी ताकत सरकार में सबसे ऊंचे लेवल पर फैसले लेना है और साथ में लोगों को जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल सरकार पर भरोसा भी है।’
फिनलैंड
फिनलैंड की प्राइम मिनिस्टर सैना मरिन दुनिया की सबसे कम उम्र की नेता हैं लेकिन 55 लाख की आबादी वाले देश में सिर्फ 59 मौतें हुई हैं। आइसलैंड की प्रधानमंत्री कैटरिन के ऊपर सिर्फ 3,60,000 की आबादी की जिम्मेदारी है लेकिन बड़े स्तर पर टेस्टिंग के चलते बाकी दुनिया के लिए अच्छी खबर आई। दरअसल, यहां टेस्ट किए गए करीब आधे लोग बिना लक्षणों के वायरस का घर बन चुके थे। यहां तेजी से कॉन्टैक्ट-ट्रेसिंग की गई और संदिग्दों को क्वॉरंटीन कर दिया गया।
ताइवान
2.4 करोड़ की आबादी वाले इस देश में जब राष्ट्रपति साई इंग-वेन को वुहान में फैले वायरस के बारे में पता चला तो उन्होंने सबसे पहले वुहान से आने वाले सारे प्लेन्स के इंस्पेक्शन का आदेश दे दिया। इसके बाद एक एपिडेमिक कमांड सेंटर खोला गया और पर्सनल प्रोटेक्शन एक्विपमेंट के उत्पादन को बढ़ा दिया गया। चीन, हॉन्ग-कॉन्ग और मकाऊ से सारी फ्लाइट्स भी बंद कर दी गईं। इन कदमों की बदौलत चीन के इस पड़ोसी देश में सिर्फ 393 मामले और 6 मौतें सामने आईं।