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COVID-19 की वजह से भारत में 5.8 लाख लोगों की सर्जरी टल सकती है: स्टडी


Coronavirus Pandemic की वजह से भारत में करीब 5.8 लाख लोगों की सर्जरी टल सकती है। एक स्टडी के मुताबिक लोगों को लंबे वक्त तक अपनी परेशानी खत्म होने के लिए इंतजार करना पड़ सकता है।
COVID-19 महामारी की वजह से फैली अफरातफरी और अस्पतालों पर बोझ की वजह से भारत में पूर्व निर्धारित 5.80 लाख से अधिक लोगों की सर्जरी या तो रद्द हो सकती है या उन्हें टाला जा सकता है। यह दावा एक अंतरराष्ट्रीय फैकल्टी ने अपनी शोध में किया है। ब्रिटिश जर्नल ऑफ सर्जरी में प्रकाशित स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि COVID-19 चरम पर पहुंचने पर 12 हफ्तों की अफरा-तफरी से दुनियाभर में इस साल दो करोड़ 84 लाख सर्जरी या तो रद्द की जा सकती हैं या उन्हें टाला जा सकता है।
करना होगा लंबा इंतजार
स्टडी के मुताबिक इससे मरीजों की समस्या का समाधान होने में लंबे समय तक इंतजार करना पड़ेगा। यह अध्ययन 120 देशों के पांच हजार सर्जन के नेटवर्क के जरिये किया गया। अध्ययन का नेतृत्व नौ देशों ब्रिटेन, बेनिन, घाना, भारत, इटली, मेक्सिको, नाइजीरिया, रवांडा, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका के शोधकर्ताओं ने किया। अध्ययन के आकलन के मुताबिक COVID-19 की वजह से प्रत्येक हफ्ते अस्पतालों में किसी अन्य तरह की बाधा आने पर 24 लाख और सर्जरी रद्द हो सकती हैं।
फूलों की बरसात से जोरदार स्वागत
राजस्थान के जयपुर शहर में गुरुवार को सुरक्षा कर्मियों ने लॉकडाउन के बीच पैदल मार्च निकालकर लोगों को भरोसा दिलाया कि उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। सुरक्षाकर्मी 24 घंटे उनकी सेवा के लिए हाजिर है। उधर, अपने बीच कोरोना वॉरियर्स को देखकर लोग अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाए और गुलाब के फूलों की बरसात कर सुरक्षाकर्मियों का जोरदार स्वागत किया।
डीसीपी के नेतृत्व में यहां से गुजरा मार्च
पुलिस के पैदल मार्च की कमान संभालने के लिए खुद डीसीपी जयपुर सिटी (ईस्ट) राहुल जैन और अन्य पुलिस अधिकारी मौजूद थे। जयपुर के राजापार्क और गोविंद मार्ग से पुलिस का मार्च गुजरा यह दोनों इलाके कोरोना से प्रभावित हैं। इस मार्च का उद्देश्य लोगों का यह बताना था कि वह कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। साथ ही सुरक्षाकर्मियों के साथ मिलकर कोरोना वायरस को मात देने का काम करें।
​सड़क पर बिछी फूलों की चादर
पुलिसकर्मियों के स्वागत में लोगों ने 20 किलो से भी ज्यादा फूलों की बौछार की। जिससे सड़क पर फूलों की चादर बिछ गई। मौके पर गुरुद्वारा कमेटी के भी काफी लोग एकत्रित थे। फूलों की चादर देखने के लिए आसपास के लोग भी मौके पर पहुंचे। अच्छी बात यह दिखी की सभी ने सोशल डिस्टेंसिग का पालन ईमानदारी से किया। लोगों के अनुशासन को देखकर सुरक्षाकर्मियों ने लोगों का भी आभार व्यक्त किया।
महिला सुरक्षाकर्मियों ने भी दिया साथ देने का भरोसा
लॉकडाउन के दौरान जयपुर के अलग-अलग इलाकों से निकले सुरक्षाकर्मियों के मार्च में महिला पुलिसकर्मियों की भागीदारी भी देखने को मिली। अपने घर-परिवार की चिंता किए बगैर महिला सुरक्षाकर्मी भी कई दिनों से बगैर छुट्टी के लोगों की सेवा में लगी हुई है। मार्च के दौरान महिला पुलिसकर्मियों ने लोगों को भरोसा दिलाया कि जब तक कोरोना का संकट पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाता, वह कोरोना के खिलाफ शुरू हुई जंग में अपनी भागीदारी देंगी।
​देशभक्ति के नारों से गूंजा शहर
मार्च में शामिल सुरक्षाकर्मियों को देख लोगों में देश भक्ति का भाव भी जाग उठा। लोगों ने एक साथ मिलकर वंदे मातरम और भारत मां की जय के नारे भी लगाए। मार्च में शामिल पुलिस अधिकारियों ने लोगों से निवेदन किया कि वह देश के खातिर कोरोना वायरस को हराने का प्रण लें। साथ ही मुंह पर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की आदत को अपने दिनचर्या में शामिल करें।
190 देशों का आकलन
ब्रिटेन स्थित बर्मिंघम विश्वविद्यालय सहित विभिन्न संस्थानों के शोधकर्ताओं ने दुनिया के 71 देशों के 359 अस्पतालों में सर्जरी से जुड़ी विस्तृत जानकारी एकत्रित की और इन चुनिंदा सर्जरी को रद्द करने की योजना का विश्लेषण किया। इन आंकड़ों के आधार पर दुनिया के 190 देशों का आकलन किया गया। शोधकर्ताओं का आकलन है कि COVID-19 के चरम पर होने पर दुनियाभर में पूर्व निर्धारित करीब 72.3 प्रतिशत सर्जरी रद्द की जा सकती हैं। इनमें अधिकतर गैर कैंसर सर्जरी होंगी।
ऐक्टिव केस नहीं तो भी मिजोरम में बढ़ा लॉकडाउन
भारत में ऐसे हालात
भारत में कोरोना वायरस की महामारी चरम पर पहुंचने के 12 हफ्ते की अवधि में 5,84,737 मरीजों की सर्जरी या तो रद्द की जा सकती है या उनमें देरी हो सकती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, करीब 12 हफ्तों में सबसे अधिक 63 लाख हड्डी से जुड़ी सर्जरी टाली गई है। अध्ययन का आकलन है कि दुनियाभर में 23 लाख कैंसर से जुड़ी सर्जरी भी या तो रद्द की जाएंगी या उनकी तारीख आगे बढ़ा दी जाएगी।
इसलिए टाली गईं सर्जरी
बर्मिंघम विश्वविद्यालय के शोधकर्ता अनिल भांगू ने कहा, ‘कोरोना वायरस की महामारी के दौरान अधिकतर चुनिंदा सर्जरी को इसलिए टाला गया ताकि मरीजों को COVID-19 के खतरे से बचाया जा सके और अस्पतालों में ज्यादा क्षमता के साथ वायरस संक्रमितों का इलाज हो सके। उदाहरण के लिए ऑपरेशन थियेटर को गहन चिकित्सा कक्ष में बदला गया है।’

खराब हो सकते हैं हालात
भांगू ने कहा, ‘हालांकि, अवश्यक सर्जरी को टालने से मरीज और समाज पर भारी बोझ पड़ेगा। सर्जरी की तारीख को बदलने से मरीजों की हालत और खराब हो सकती है । उनके जीवन की गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है। कुछ मामलों में उदाहरण के लिए कैंसर में लोगों की सर्जरी में देरी की वजह से अनावश्यक मौत तक हो सकती है।’ बर्मिंघम विश्वविद्यालय के ही दमित्रि नेपोगोदिव ने कहा कि यह अस्पतालों के लिए आवश्यक है कि वे नियमति रूप से स्थिति का आकलन करें ताकि चुनिंदा सर्जरी की प्रक्रिया को यथाशीघ्र बहाल किया जा सके।