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नेपाल ने जारी किया देश का नया नक्‍शा, लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को बताया अपना


(Nepal Releases New Map) नेपाल सरकार ने भारत के साथ सीमा व‍िवाद के बाद देश का नया नक्‍शा जारी (Nepal New Map) क‍िया है। नेपाल के इस नए नक्‍शे में कुल 395 वर्ग क‍िलोमीटर के इलाके को अपना बताया है। इसमें लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा (Lipulekh Kalapani Limpiyadhura ) शामिल है। नेपाल के नए नक्‍शे (Nepal Map) के बाद दोनों देशों के बीच व‍िवाद और गहरा सकता है।
भारत सरकार के विरोध के बाद भी नेपाल सरकार ने अपने देश का नया राजनीतिक और प्रशासनिक नक्‍शा जारी कर दिया है। इस नए नक्‍शे में नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा के कुल 395 वर्ग किलोमीटर के भारतीय इलाके को अपना बताया है। नेपाल के भू प्रबंधन और सुधार मंत्रालय की ओर से मंत्री पद्मा अरयाल ने नेपाल का यह नया नक्‍शा जारी किया।
ससे पहले नेपाल सरकार ने ऐलान किया किया था कि वह नया नक्‍शा जारी कर लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्र में शामिल करेगी। इस नक्‍शे को अब स्‍कूलों और सभी सरकारी कार्यालयों में इस्‍तेमाल किया जाएगा। पद्मा ने कहा कि नए नक्‍शे को संसद के समक्ष रखा जाएगा ताकि उसमें किए गए संशोधनों को मंजूरी दिलाई जा सके।
नक्‍शे में 395 वर्ग किलोमीटर के इलाके को शामिल किया
नेपाल ने अपने नए नक्‍शे में कुल 395 वर्ग किलोमीटर के इलाके को शामिल किया है। लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी के अलावा गुंजी, नाभी और कुटी गांवों को भी शामिल किया गया है। नेपाल के नए नक्‍शे में कालापानी के कुल 60 वर्ग किलोमीटर के इलाके को अपना बताया है। इसमें लिंपियाधुरा के 335 किलोमीटर के इलाके को जोड़ दें तो यह कुल 395 वर्ग किलोमीटर हो जाता है। इस तरह से नेपाल ने भारत के 395 किलोमीटर के इलाके पर अपना दावा ठोका है। इससे पहले सोमवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्‍व में कैबिनेट की बैठक के दौरान इस मैप को मंजूरी दी गई थी।
लिपुलेख-कालापानी व‍िवाद: जानें, भारत के खिलाफ क्‍यों उबल रहा है नेपाल
इसके मुताबिक, लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को नेपाल का हिस्‍सा बताया था। जबकि ये इलाके भारत में आते हैं। नेपाली कैबिनेट से नए नक्‍शे के प्रस्‍ताव को मंजूरी मिलने के बाद नेपाल की राष्‍ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने कहा था, ‘लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी इलाके नेपाल में आते हैं और इन इलाकों को वापस पाने के लिए मजबूत कूटनीतिक कदम उठाए जाएंगे।’ मंगलवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संसद में कहा था कि कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख हमारा है और हम उसे वापस लेकर रहेंगे।
समझिए, क्या है कालापानी विवाद जिसकी अहमियत भारत के लिए डोकलाम जैसी है लेकिन नेपाल उसे अपना इलाका बताता है…
समझिए, क्या है कालापानी विवाद जिसकी अहमियत भारत के लिए डोकलाम जैसी है लेकिन नेपाल उसे अपना इलाका बताता है…
Kalapani Dispute: भारत और नेपाल के बीच ‘कालापानी बॉर्डर’ का मुद्दा एक बार फिर से सुर्खियों में है। नेपाल इस मुद्दे पर भारत से बात करना चाहता है। नेपाल का कहना है कि आपसी रिश्तों में दरार पड़ने से रोकने के लिए कालापानी मुद्दे को सुलझाना अब बहुत जरूरी है। सवाल है कि जिस मसले को लेकर दोनों देशों के बीच कभी कोई तनाव के हालात नहीं बने, उसे लेकर अब ऐसी बैचैनी क्यों है? खास तौर पर नेपाल की ओर की। क्या है कालापानी का ये पूरा मसला और नेपाल में क्यों ये बन गया है
नेपाल और भारत के रिश्‍तों में दरार?
दरअसल, पिछले दिनों धारचूला से लिपुलेख तक नई रोड का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से उद्घाटन किया गया था। इस रोड पर काठमांडू ने आपत्ति जताई है। इस रोड से कैलाश मानसरोवर जाने वाले तीर्थयात्रियों की दूरी कम हो जाएगी। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्‍यावली ने भारत के राजदूत विनय मोहन क्‍वात्रा को तलब कर लिया था।
भारत ने दिया था साफ जवाब
जवाब में भारत ने अपनी पोजिशन साफ करते हुए कह था कि ‘उत्‍तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में हाल ही बनी रोड पूरी तरह भारत के इलाके में हैं।’ ग्‍यावली ने सोमवार को एक ट्वीट में जानकारी दी कि ‘कैबिनेट ने 7 प्रान्‍त, 77 जिलों और 753 स्‍थानीय निकायों वाले नेपाल का नक्‍शा प्रकाशित करने का निर्णय लिया है। इसमें लिंपियाधुरा, लिपुलेक और कालापानी भी होंगे।’