
China ने कुत्ते के मीट को बैन (Dog meat ban) करने की ओर संकेत किए दिए हैं। कुत्ते को Livestock Animal की जगह Companion Animal माना गया है जिससे इंसानों का गहरा रिश्ता होता है।
चीन ने संकेत दिए हैं कि जल्द ही खाने की टेबल से कुत्तों का मांस भी गायब हो कता है। दरअसल, कुत्तों को फार्म ऐनमिल की जगह Companion ऐनिमल के तौर पर क्लासिफाई करते हुए निर्देश जारी कर दिया गया है। चीन के कृषि मंत्रालय ने देश में कुत्तों को लेकर चली आ रहीं परंपराओं को बदलने की मांग की है और जोर दिया है कि वे साथी होते हैं, रेस्क्यू का काम करते हैं और सर्विस ऐनिमल होते हैं। खास बात यह है कि कुछ ही हफ्तों में युलिन डॉग मीट फेस्टिवल आने वाला है, जब बड़ी संख्या में कुत्तों को बेरहमी से मार दिया जाता है।
चीन की कृषि मंत्रालय कुत्तों को लाइवस्टॉक या पोल्ट्री का जानवर नहीं मानता। इसे लेकर नए निर्देश जारी किए गए हैं। इस श्रेणी में आने वाले जानवरों की व्यापारिक ब्रीडिंग, व्यापार और ट्रांसपोर्ट की इजाजत होती है। कुत्तों को इसमें शामिल नहीं किए जाने से कम से कम 1 करोड़ कुत्तों की जान हर साल बचाई जा सकती है। मंत्रालय के एक प्रवक्ता के मुताबिक कुत्तों को पालतू जानवर के तौर पर रखा जाता है और उनका इंसानों से गहरा रिश्ता होता है।
आखिर Coronavirus से सीखा Wuhan, लगा जंगली जानवर खाने पर बैन
विवादित है युलिन फेस्टिवल
युलिन डॉग मीट फेस्टिवल दुनिया के सबसे विवादित फूड फेस्टिवल्स में से एक है। यहां कुत्तों को मारा-काटा जाता है और फिर पकाकार लोगों को खिलाया जाता है। प्रवक्ता का कहना है कि समय के साथ इस दिशा में और नीतियां भी लागू की जा सकती हैं। चीन के दो शहरों, शेनझेन और झुआई में कोरोना वायरस महामारी के बाद से कुत्तों को खाने पर रोक लगाई जा चुकी है। देश के लाइवस्टॉक में सुअर, गाय, भेड़, बकरी, घोड़े, गधे, ऊंट, खरगोश, चिकन, बत्तख जैसे 33 जीव आते हैं।
कोरोना वायरस महमारी से विश्वभर में 2,48,256 मारे गए हैं और 35 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। इस महमारी के गढ़ रहे चीन से यह वायरस खत्म होने की कगार पर है, वहीं पूरी दुनिया इससे जूझ रही है। इस बीच मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इंस्टीट्यूट का स्टाफ बिना किसी सुरक्षा किट के गुफाओं में जाकर चमगादड़ों को पकड़ता था और स्वाब इकट्ठा करता था। वहीं इस वॉयरोलॉजी में एक फ्रिज में 1500 तरह के वायरस को एक साथ रखने वाली तस्वीर भी सामने आई थी। इसके अलावा इंस्टीट्यूट ने अमेरिकी वैज्ञानिकों के विजिट को भी अपनी वेबसाइट की हिस्ट्री से डिलीट कर दिया है।
अमेरिकी वैज्ञानिक ने दी थी चेतावनी
दरअसल, मार्च 2018 में अमेरिकी दूतावास के वैज्ञानिक रिक स्विटजर ने इस लैब में विजिट किया था। इस दौरे के बाद स्विटजर ने अमेरिका के विदेश विभाग को चेतावनी भरा संदेश भेजा था। इस संदेश में स्विटजर ने कहा था कि इस लैब में प्रशिक्षित लोगों की भारी कमी है। यही नहीं पिछले दिनों वुहान लैब की ऐसी तस्वीरें सामने आई थीं जिनमें लैब के अंदर टूटी हुई सील दिखाई दे रही थी। ये तस्वीरें पहली बार चाइना डेली अखबार ने 2018 में रिलीज की थीं। ट्विटर पोस्ट होने के साथ ही ये सवालों के घेरे में आ गईं क्योंकि लोगों को इस लैब की ऐसी खामियां दिखने लगीं जिनसे लैब से वायरस लीक पर उठ रहे सवालों को बल मिल गया है।
वुहान लैब में बना था कोरोना वायरस: ट्रंप
इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को था कि कि दुनिया भर में दहशत का कारण बना कोरोना वायरस चीन की लैब में ही बनाया गया था। ट्रंप ने कहा कि उन्हें इसका पूरा भरोसा है और इसके पर्याप्त सबूत हैं कि कोरोना वायरस को वुहान की जैविक प्रयोगशाला में डिवलप किया गया था, हालांकि उन्होंने इसके सबूतों को लेकर कोई भी जानकारी शेयर करने से इनकार कर दिया। ट्रंप ने कहा कि हां मेरे पास इसके सबूत हैं, लेकिन मैं इसके बारे में आपको बता नहीं सकता और मुझे इसकी इजाजत भी नहीं है।
वुहान में बैन जंगली जानवरों का मीट
दुनियाभर में कोरोना का सबसे पहले शिकार बने चीन के वुहान शहर ने में जंगली जानवरों को खाने पर बैन लगा दिया गया है। दरअसल, एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोरोना वायरस इंसानों में किसी जंगली जानवर के जरिए ही पहुंचा जो यहां के वेट मार्केट में बेचे जा रहे थे। चीन के खान-पान में जानवर बड़ा हिस्सा रहे हैं और ऐसे में 1.1 करोड़ की आबादी वाले वुहान पर बैन लगाया जाना एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
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