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वैज्ञानिकों का दावा, भारत में है एक अलग तरह का कोरोना वायरस


हैदराबाद के सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्युलर बयॉलजी (सीसीएमबी) के वैज्ञानिकों ने देश में कोरोना संक्रमित (Corona Virus in India) लोगों में एक अलग तरह के कोरोना वायरस (Corona Virus) का पता लगाया है। वैज्ञानिकों ने वायरस के इस अनूठे समूह को ‘क्लेड ए3आई’ नाम दिया है, जो भारत में जीनोम (जीनों के समूह) सीक्वेंस के 41 फीसदी सैंपलों में पाया गया है।
भारत में कोरोना वायरस (Corona Virus in India) के मामले रोज नए रेकॉर्ड बना रहे हैं। बुधवार शाम तक देश में कोरोना के 2 लाख 16 हजार से ज्यादा मरीज हो चुके हैं। इस बीच हैदराबाद के सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्युलर बयॉलजी (सीसीएमबी) के वैज्ञानिकों ने देश में कोरोना संक्रमित लोगों में एक अलग तरह के कोरोना वायरस (SARS-CoV2) का पता लगाया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि फिलहाल यह दक्षिणी राज्य जैसे- तमिलनाडु और तेलंगाना में ज्यादातर पाया गया है।
वैज्ञानिकों ने वायरस के इस अनूठे समूह को ‘क्लेड ए3आई’ नाम दिया है, जो भारत में जीनोम (जीनों के समूह) सीक्वेंस के 41 फीसदी सैंपलों में पाया गया है। वैज्ञानिकों ने 64 जीनोम का सीक्वेंस तैयार किया है। सीसीएमबी ने ट्वीट किया, ‘भारत में SARS-CoV2 के फैलने के जीनोम ऐनालिसिस पर एक नया तथ्य सामने आया है। रिसर्च के मुताबिक, इस वायरस का एक अनूठा समूह भी है जो भारत में मौजूद है। इसे क्लेड ए3आई (CLADE-A3i) नाम दिया गया है।’
तेलंगाना और तमिलनाडु के ज्यादातर सैंपल CLADE-A3i जैसे
सीसीएमबी ने आगे कहा, ‘माना जा रहा है कि यह ग्रुप फरवरी 2020 में वायरस से पैदा हुआ और देशभर में फैल गया। इसमें भारत से लिए गए SARS-CoV2 जीनोम के सभी सैंपलों के 41 फीसदी और सार्वजनिक किए गए वर्ल्ड जीनोम का साढ़े तीन फीसदी है।’ सीसीएमबी वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के तहत आता है। सीसीएमबी के डायरेक्टर और रिसर्च पेपर के सह-लेखक राकेश मिश्रा ने कहा कि तेलंगाना और तमिलनाडु से लिए गए ज्यादातर सैंपल क्लेड ए3आई की तरह हैं। उन्होंने कहा कि ज्यादातर सैंपल भारत में कोविड-19 के फैलने के शुरूआती दिनों के हैं।
रूस अपनी आर्मी पर टेस्‍ट करेगा वैक्‍सीन
रूस की सेना ने कहा है कि उसने दर्जनों वालंटियर्स वैक्‍सीन ट्रायल के लिए चुने हैं। बुधवार से वहां पर आर्मी की वैक्‍सीन का ट्रायल शुरू होना है। मिलिट्री ने कहा कि उसकी वैक्‍सीन का प्री क्लिनिकल ट्रायल पूरा हो चुका है। रूस में 47 वैक्‍सीन डेवलपमेंट के अलग-अलग स्‍टेज में हैं।
ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्‍सीन गर्मी खत्‍म होने तक हो सकती है तैयार
ब्रिटेन के बिजनेस सेक्रटरी आलोक शर्मा के मुताबिक, ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने जो वैक्‍सीन तैयार की है, उसका क्लिनिकल ट्रायल बहुत अच्‍छा जा रहा है। उन्‍होंने कहा कि गर्मियां खत्‍म होने तक वैक्‍सीन की डोज तैयार की जा सकती हैं।
भारत की 14 वैक्‍सीन जगा रहीं उम्‍मीद
डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्‍नोलॉजी की सेक्रेटरी डॉ रेणु स्‍वरूप ने कहा है कि भारत में करीब 30 वैक्‍सीन कैंडिडेट्स हैं। उनमें से 14 ऐसी हैं जिनके शुरुआती नतीजे उम्‍मीद जगाते हैं। चार वैक्‍सीन अपने डेवलपमेंट में एडवांस्‍ड स्‍टेज में हैं।
Moderna का वैक्‍सीन ट्रायल दूसरे दौर में
Moderna Inc ने कहा है कि उसकी वैक्‍सीन का क्लिनिकल ट्रायल दूसरे दौर में पहुंच गया है। अब 600 लोगों में दो अलग-अलग डोज की वैक्‍सीन टेस्‍ट की जाएगी। Moderna की वैक्‍सीन के शुरुआती नतीजे अच्‍छे रहे थे। थर्ड फेज में 30 हजार लोगों पर ट्रायल जुलाई से शुरू होने की बात कही जा रही है।
इसी साल तक वैक्‍सीन डेवलप कर लेंगे : US आर्मी
अमेरिका के एक सीनियर आर्मी रिसर्चर ने कहा है कि देश के कुछ हिस्‍सों में 2020 खत्‍म होने से पहले तक वैक्‍सीन उपलब्‍ध हो सकती है। पेंटागन में बीफिंग के दौरान कर्नल वेंडी सैमंस-जैक्‍सन ने यह बात कही। वहां पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत वैक्‍सीन डेवलप हो रही है।
Intravacc, EpiVax ने मिलाए हाथ
कोरोना वैक्‍सीन तैयार करने के लिए दो बड़ी कंपनियां साथ आई हैं। नीदरलैंड्स की Intravacc और अमेरिका की EpiVax ने साथ मिलकर वैक्‍सीन बनाना शुरू कर दिया है। कंपनी को उम्‍मीद है कि 2020 की आखिरी तिमाही पर उसका क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो जाएगा।
अक्‍टूबर तक रेडी हो जाएगी कोरोना वैक्‍सीन?
अमेरिकन कंपनी Pfizer ने कहा है कि उसकी वैक्‍सीन अक्‍टूबर तक तैयार हो जाएगी। उसकी रिसर्च में जर्मनी की BioNtech भी साथ दे रही है। मई में इंसानों पर जर्मनी में पहला ट्रायल हो चुका है। अमेरिका में जल्‍द ट्रायल शुरू हो सकते हैं।
तुर्की और रूस साथ बनाएंगे वैक्‍सीन
रूस और तुर्की के बीच मंगलवार को साथ मिलकर नोवेल कोरोना वायरस की वैक्‍सीन बनाने का करार हुआ। तुर्की ने WHO से अलग तरीके इस्‍तेमाल किए हैं। उसके 22 सेंटर्स पर वैक्‍सीन की स्‍टडी चल रही है।
चीन इसी साल वैक्‍सीन तैयार करने में जुटा
चीनी सरकार को उम्‍मीद है कि इस साल के आखिर तक उनकी वैक्‍सीन बाजार में उतरने को तैयार होगी। वहां की एक कंपनी के दो वैक्‍सीन का ट्रायल फेज 2 में है। चीन ने अपनी प्रॉडक्‍शन कैपासिटी भी बढ़ाई है ताकि तेजी से वैक्‍सीन की डोज तैयार की जा सकी।
कनाडा ने मंगाई 3.7 करोड़ सीरिंज
कनाडा सरकार को लगता है कि बड़े पैमाने पर वैक्‍सीनेशन के लिए सीरिंज की बहुत जरूरत पड़ेगी। इसलिए सरकार ने 37 मिलियन सीरिंज का कॉन्‍ट्रैक्‍ट साइन किया है। मई में कनाडा सरकार ने एक वैक्‍सीन के क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी दी थी यानी कनाडा भी वैक्‍सीन बनाने की रेस में शामिल है।
फिलीपींस और सिंगापुर से मिलता-जुलता है यह टाइप
मिश्रा ने कहा कि दिल्ली में पाए गए सैंपलों से इसकी थोड़ी सी समानता है, लेकिन महाराष्ट्र और गुजरात के सैंपलों से कोई समानता नहीं है। कोरोना वायरस का यह टाइप सिंगापुर और फिलीपींस में पता चले मामलों जैसा है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में और अधिक सैंपलों का जीनोम सीक्वेंस तैयार किया जाएगा और इससे इस विषय पर और जानकारी मिलने में मदद मिलेगी। साथ ही, यह भी कहा गया है कि भारत में SARS-CoV2 के अलग और बहुत ज्यादा मात्रा में उपलब्ध समूह की विशेषता बताने वाला यह पहला व्यापक अध्ययन है।