Tuesday , December 23 2025 11:11 PM
Home / News / अमेरिका-यूरोप में गले पर दबाव बनाकर गिरफ्तारी, दुनियाभर में छिड़ी इस तरीके पर बहस

अमेरिका-यूरोप में गले पर दबाव बनाकर गिरफ्तारी, दुनियाभर में छिड़ी इस तरीके पर बहस


अमेरिका में अश्वेत की गिरफ्तारी के दौरान मौत का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा है कि ऐसा ही एक मामला फ्रांस में भी सामने आया है। यहां एक पुलिस अधिकारी ने संदिग्ध अश्वेत व्यक्ति को पकड़ने के लिए उसके गले पर दबाव बनाया। अमेरिका और यूरोप के कई देशों की पुलिस संदिग्धों को पकड़ने के लिए उनकी गर्दन पर घुटनों का इस्तेमाल करके उन्हें निष्क्रिय करने की तकनीक इस्तेमाल करती है। इसकी काफी आलोचना होती रही है।
अमेरिका में पुलिस हिरासत में लेने के दौरान अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत से पूरा देश झुलस रहा है। अमेरिका के 140 से ज्यादा शहरों में कर्फ्यू लगाना पड़ा। वहीं अब ऐसा ही एक मामला फ्रांस में भी सामने आया है। यहां एक पुलिस अधिकारी ने संदिग्ध अश्वेत व्यक्ति को पकड़ने के लिए उसके गले पर दबाव बनाया। इस घटना का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है।
यह मामला ऐसे समय में आया है जब अमेरिका के मिनिपोलिस में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की इसी तरह गले पर दबाव बनाने से मौत हो गई थी। इससे पुलिस की इस तकनीक पर दुनियाभर में सवाल उठने लगे हैं। अमेरिका और यूरोप के कई देशों की पुलिस संदिग्धों को पकड़ने के लिए उनकी गर्दन पर घुटनों का इस्तेमाल करके उन्हें निष्क्रिय करने की तकनीक इस्तेमाल करती है। इसकी काफी आलोचना होती रही है। इस तकनीक से दम घुटने और अन्य कारणों से संदिग्ध की मौत का खतरा होता है।
अश्वेतों को पकड़ने में खासकर किया जाता है इसका इस्तेमाल
फ्लॉयड की मौत पर अमेरिका समेत दुनियाभर में प्रदर्शन का एक कारण यह भी है। अब कई और वीडियो भी वायरल होने लगे हैं जिसमें पुलिस इस तकनीक से आरोपियों को पकड़ती दिख रही है। पुलिस हिरासत में इस तकनीक का इस्तेमाल अक्सर अश्वेत संदिग्धों पर किया जाता है। फ्रांस के सांसद फ्रांस्वा रफीं ने कहा, ‘हम ऐसा नहीं कह सकते कि अमेरिका की घटना हमारे लिए नई है।’ रफीं ने फ्रांस में इस पर रोक लगाए जाने की मांग की है।
जॉर्ज फ्लॉयड की मौत का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी राष्‍ट्रपति कार्यालय वाइट हाउस (White House) के सामने जमकर प्रदर्शन किया। ये लोग अमेरिका में अश्‍वेतों के साथ नस्‍लवाद के आरोप लगा रहे थे। प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े। यही नहीं पूरे वॉशिंगटन में कर्फ्यू लगा दिया गया है। वॉशिंगटन में प्रदर्शनकारियों के लूटपाट और आगजनी करने का भी सिलसिला जारी रहा।
सेंट जॉन्स एपिस्कोपल चर्च पहुंचे ट्रंप
प्रदर्शनकारियों ने ‘चर्च ऑफ प्रेजिडेंट्स’ के नाम से मशहूर ऐतिहासिक सेंट जॉन्स एपिस्कोपल चर्च को आग तक लगा दी है। सोमवार को भारी सुरक्षा इंतजामों के बीच डोनाल्‍ड ट्रंप ने चर्च का दौरा किया। वाइट हाउस के आसपास से प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस ने रबर की गोली का इस्‍तेमाल किया। इस दौरान अमेरिकी सेना-पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच जमकर झड़प हुई। हजारों प्रदर्शनकारियों ने ड्रम बजाते हुए सड़कों पर रैली निकाली और ‘Black Lives Matter’ के नारे लगाए।
डोनाल्‍ड ट्रंप का सेना तैनात करने का ऐलान
वॉशिंगटन में हालात नियंत्रण से बाहर निकलते देख राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी सेना को उतारने का फैसला किया है। राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने कहा, ‘जॉर्ज फ्लॉयड की निर्मम हत्या से सभी अमेरिकी दुखी हैं और उनके मन में एक आक्रोश है। जॉर्ज और उनके परिवार को इंसाफ दिलाने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। मेरे प्रशासन की ओर से उन्हें पूरा न्याय मिलेगा। मगर देश के राष्ट्रपति के तौर पर मेरी पहली प्राथमिकता इस महान देश और इसके नागरिकों के हितों की रक्षा करना है।’ ट्रंप ने कहा कि मैंने इस देश के कानून को सबसे ऊपर रखने की शपथ ली थी और मैं अब बिल्कुल वही करूंगा। उन्होंने कहा, ‘रविवार रात वॉशिंगटन डीसी में जो कुछ हुआ वह बेहद गलत है। मैं हजारों की संख्या में हथियारों से लैस सेना के जवानों को उतार रहा हूं। इनका काम दंगा, आगजनी, लूट और मासूम लोगों पर हमले की घटनाओं पर लगाम लगाना होगा।’
अमेरिका के 24 शहरों में हिंसा के बाद हुई गिरफ्तारी
खबरों के मुताबिक 24 शहरों में कम-से-कम 4 हजार लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें से 20 प्रतिशत गिरफ्तारी लॉस एंजिलिस में हुई हैं। बोस्टन में पुलिस की एसयूवी को स्टेट हाउस के पास आग के हवाले कर दिया गया। उधर, पुलिस अधिकारी दंगों के समय इस्तेमाल होने वाले हथियारों और बख्तरबंद वाहन में प्रदर्शनकारियों और लुटेरों को तितर-बितर करने के लिए मिर्च स्प्रे इस्तेमाल करते दिखे। यूनियन स्कॉयर में कबाड़ में पड़े कैन और सड़क पर पड़े कूड़े को लगा दी गई, जिससे आग की लपटें दो मंजिला इमारत की ऊंचाई तक उठती दिखी।
मार्टिन लूथर किंग की हत्‍या के बाद इतनी ज्‍यादा हिंसा
खबरों में कहा गया कि यह पहली बार है जब 1968 में मार्टिन लूथर किंग जूनियर की हत्या के बाद से इतने सारे अधिकारियों ने नागरिक अशांति को देखते हुए एक साथ ऐसे आदेश पारित किए हों। इस बीच जॉर्ज फ्लॉयड प्रकरण में भड़की हिंसा के खिलाफ राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का गुस्सा एंटीफा संगठन पर फूटा है। ट्रंप ने इसे आतंकी संगठन की श्रेणी में भी रखना चाहते हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने आरोप लगाया है कि इस प्रदर्शन को हाइजैक कर लिया गया है। ट्रंप ने ट्वीट किया, ‘अमेरिका एंटीफा को आतंकवादी संगठन करार देगा।’ ट्रंप ने हिंसा के पीछे वामपंथी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया है, जिन्हें आमतौर पर एंटीफा कहा जाता है। अमेरिका में एंटीफा आंदोलन उग्रवादी, वामपंथी और फासीवादी विरोधी आंदोलन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। संगठन के जरिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन, रैलियों के माध्यम से फासीवाद का लगातार विरोध होता रहा है।
जॉर्ज फ्लॉयड की गले पर दबाव बनाने से ही हुई थी मौत
25 मई को अमेरिका के मिनिपोलिस में फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। दरअसल एक श्वेत पुलिस अधिकारी ने उनके गले को अपने घुटने से तब तक दबाए रखा जब तक उनकी सांसें नहीं रुक गईं। पैरिस में भी 28 मई को एक ऐसा मामला सामने आया, जब एक अधिकारी ने एक अश्वेत व्यक्ति को पकड़ने के दौरान उसके जबड़े गर्दन और सीने के ऊपरी हिस्से को अपने घुटने और जांघ से दबाया, ताकि वह अपनी जगह से हिल न सके।
दुनिया के कई देशों में है गले पर दबाव बनाने की मनाही
हांगकांग में भी पुलिस गले पर दबाव बनाकर पकड़े गए एक व्यक्ति की मौत की घटना की जांच कर रही है। बेल्जियम में पुलिस प्रशिक्षक स्टेनी ड्यूरीयक्स ने कहा कि सदिंग्ध पर पूरी तरह से भार डालना मना है क्योंकि इससे उसकी पसली टूट सकती है। उसका दम घुट सकता है। जर्मनी की पुलिस के अनुसार, उनके देश में अधिकारियों को संदिग्ध के सिर के एक हिस्से पर थोड़ा दबाव देने की इजाजत है, लेकिन गर्दन पर ऐसा करने की अनुमति नहीं है। न्यू यॉर्क पुलिस को संदिग्ध के सीने या पीठ या बैठकर, घुटने रखकर या खड़े होकर दबाव बनाने से बचने की सलाह दी जाती है और गले पर दबाव बनाना मना है। फ्रांस की पुलिस यूनियन के एक पदाधिकारी क्रिस्तोफ रोउजे ने कहा, ‘दुनियाभर की पुलिस इन तकनीकों का इस्तेमाल करती है, क्योंकि इनमें खतरा कम है, लेकिन पुलिसकर्मियों को इनका अच्छे से प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। हमने देखा कि अमेरिका में इस तकनीक का सही से उपयोग नहीं किया गया। गलत जगह पर और अधिक समय तक दबाव दिया गया।’