
Harvard की एक स्टडी में दावा किया गया है कि China के Wuhan में Coronavirus अगस्त 2019 में ही फैलने लगा था। स्टडी में अस्पतालों के बाहर Traffic और इंटरनेट में कोरोना से मिलते-जुलते लक्षण सर्च किए जाने को (Coronavirus symptoms online search) को आधार बनाया गया है।
कोरोना वायरस असल में चीन में कब फैलना शुरू हुआ, इसे लेकर नए-नए दावे किए जा रहे हैं। अब हार्वर्ड की एक स्टडी में कहा गया है कि वुहान में कोरोना वायरस अगस्त 2019 में ही आ गया था। वुहान के अस्पतालों में के बाहर लगने वाले ट्रैफिक के बढ़ने से इस स्टडी में यह नतीजा निकाला गया है। दूसरी ओर चीन ने मंगलवार को इस स्टडी को ‘बकवास’ बताया है।
ट्रैफिक बढ़ा, लोग सर्च कर रहे थे ‘खांसी’
चीन ने रविवार को जारी श्वेतपत्र में कहा था कि वायरस सबसे पहले 17 दिसंबर को पाया गया और चीनी वायरॉलजिस्ट्स ने 19 जनवरी को यह पुष्टि की कि यह इंसानों से फैल सकता है। इसके बाद 23 जनवरी को लॉकडाउन लगाया गया। हालांकि, हार्वर्ड की स्टडी में दावा किया गया है कि सैटलाइट तस्वीरों से यह पता चलता है कि वुहान के पांच अस्पतालों में अगस्त से दिसंबर के बीच ट्रैफिक बढ़ा हुआ था। इसके साथ ही ऑनलाइन सर्च में ‘खांसी’ और ‘डायरिया’ के बारे में भी ज्यादा सर्च किया जा रहा था।
2018 के आंकड़ों से की गई तुलना
हार्वर्ड की स्टडी को लीड करने वाले डॉ. जॉन ब्राउनस्टीन का कहना है कि जाहिर तौर पर जिसे कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत माना जाता है, उस वक्त से काफी पहले सामाजिक तौर पर हलचल होने लगी थी। रिसर्चर्स ने कमर्शल सैटलाइट डेटा में 2018 और 2019 के बीच तुलना की। एक केस में रिसर्चर्स ने पाया कि वुहान के सबसे बड़े अस्पताल तिआन्यू में अक्टूबर 2018 में 171 कारें पार्क थीं जबकि उसकी जगह अगले साल 2019 में 285 गाड़ियां पार्क की गई थीं।
और ज्यादा रिसर्च की जरूरत
ऑनलाइन सर्च के मामले में पाया गया कि चीन के सर्च इंजन Baidu में कोरोना वायरस के लक्षणों से मिलते-जुलते लक्षण सर्च किए जा रहे थे। हालांकि, डॉ. ब्राउनस्टीन का कहना है कि अभी पूरा सच जानने के लिए और स्टडी करने की जरूरत है ताकि यह पता चल सके कि क्या हुआ था और लोग इस बारे में जान सकें कि ऐसी महामारियां कैसे शुरू होती हैं और आबादी में कैसे फैलती हैं।
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