
बीजिंग ने हांगकांग में विवादास्पद सुरक्षा कानून के अपने प्रस्ताव को आगे बढ़ाते हुए एक बार फिर से अपने इरादों को स्पष्ट कर दिया है कि चीन में कानून के शासन के लिए सम्मानजनक दृष्टिकोण है। मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग के प्रस्ताव के तहत, हांगकांग सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा को सुरक्षित रखने के लिए नए संस्थानों की स्थापना करनी होगी और मुख्य शहर की चीनी एजेंसियों को “जब जरूरत होगी” शहर में काम करने की अनुमति दी जाएगी।
हालांकि विपक्षी नेताओं द्वारा असंतोष को दबाने के लिए चीन के इन सभी कदमों की व्यापक रूप से आलोचना की गई है। आशंका जताई जा रही है कि यह कानून “एक देश, दो प्रणाली” के सिद्धांत को कमजोर कर देगा और आखिरकार हांगकांग की स्वायत्तता का क्षरण होगा जो कि 1997 के सिनो-ब्रिटिश संयुक्त घोषणा के तहत तय किया गया था। चीन और ब्रिटेन के प्रधानमंत्रियों झाओ जियांग और मार्गरेट थैचर द्वारा 19 दिसंबर, 1984 को बीजिंग के प्रश्न पर चीन-ब्रिटिश संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए थे। दोनों सरकारों ने इस बात पर सहमति जताई कि चीन 1 जुलाई, 1997 से हांगकांग का नियंत्रण फिर से शुरू कर देगा।
हांगकांग में चीन के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। हजारों लोगों ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया, गीत गाए और मार्च निकाला। शुक्रवार को लोगों ने अर्ध-स्वायत्तशासी शहर की विधायिका के सामने पुलिस के साथ हुए टकराव की बरसी मनाई।शाम में न्यू टेरेटोरीज में सैकड़ों प्रदर्शनकारी काउसवे बे और मोंगकोक शॉपिंग डिस्टि्रक एवं शा टिन शॉपिंग मॉल में जमा हुए। काउसवे बे में उन्होंने चीन की सत्ताधारी पार्टी की ओर इशारा करते हुए उसे ‘हेवन विल डिस्ट्रॉय दी सीसीपी’ बताया। प्रदर्शनकारियों ने जब नारे लगाए और विरोधी गान ‘ग्लोरी टू हांगकांग’ गाया तो दंगा पुलिस खड़ी रही।
बता दें कि हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर गाज गिर सकती है। चीन में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून बनने के बाद भले ही वह अभी अमल में नहीं आया हो, लेकिन हांगकांग पुलिस ने अपने तेवर सख्त कर दिए हैं। लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों की आक्रामक रणनीति के खिलाफ चीन समर्थक हांगकांग पुलिस ने अब युवाओं के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। पुलिस युवाओंं पर अशांति की आड़ में अपराध करने का आरोप लगा रही है। गौरतलब है कि पिछले साल गर्मियों में चीन के प्रत्यर्पण बिल के खिलाफ हांगकांग में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुआ था। इस आंदोलन की शुरुआत पहले शांतिपूर्ण ढंग से शुरू हुई, लेकिन देखते-देखते यह हिंसक आंदोलन में तब्दील हो गया।
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