
वैज्ञानिकों ने कोविड-19 संक्रमण से उबर चुके लोगों के रक्त से एंटीबॉडी की खोज की है, जिसका पशुओं और मानव कोशिकाओं पर परीक्षण किए जाने पर यह कोरोना वायरस से बचाव में बहुत कारगर साबित हुई है। अमेरिका के स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार कोविड-19 रोगियों को सैद्धांतिक रूप से बीमारी के शुरुआती स्तर पर एंटीबॉडी इंजेक्शन लगाए गए, ताकि उनके शरीर में वायरस के स्तर को कम करके उन्हें गंभीर हालत में पहुंचने से बचाया जा सके।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा इन एंटीबॉडी का उपयोग उन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, बुजुर्गों और अन्य लोगों को सार्स-कोव-2 संक्रमण से बचाने के लिये अस्थायी तौर पर टीके जैसी सुरक्षा प्रदान करने के लिए भी किया जा सकता है, जिनपर पारंपरिक टीकों का कुछ खास असर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है। या फिर जिनमें शुरुआती स्तर के कोविड-19 के लक्षण दिखाई दिए हैं।
विज्ञान से संबंधित पत्रिका ‘साइंस’ में सोमवार को प्रकाशित यह अनुसंधान इस घातक वायरस से तुरंत बचाव का रास्ता दिखाता है। शोध के दौरान उन मरीजों से रक्त के नमूने लिए, जो हल्के-से-गंभीर स्तर के कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक हुए हैं। इसके बाद उन्होंने एसीई2 नामक परीक्षण कोशिकाएं विकसित कीं, जिनका इस्तेमाल कर सार्स-कोव-2 मानव कोशिकाओं में प्रवेश करता है।
प्रारंभिक प्रयोगों के दौरान टीम ने परीक्षण किया कि क्या मरीजों के एंटीबॉडी युक्त रक्त वायरस के प्रभाव को कम कर उसे परीक्षण कोशिकाओं को संक्रमित करने से रोक सकते हैं। स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के डेनिस बर्टन ने कहा, ‘ये शक्तिशाली एंटीबॉडी महामारी के खिलाफ तेज प्रतिक्रिया देने में बहुत कारगर साबित हो सकते हैं।’
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