
चीन के सुप्रीम लीडर शी जिनपिंग का आक्रामक रुख उन्हें भारी पड़ सकता है। वे इसके जरिए भले ही यह संकेत देना चाह रहे हों कि कोरोना वायरस के चलते बाद चीन को आर्थिक और कूटनीतिक तौर पर कोई झटका नहीं लगा है। मगर जिस तरह भारत समेत अन्य देशों ने चीन का प्रतिकार किया है, जिनपिंग का यह इरादा फेल भी हो सकता है। अपनी पार्टी या सरकारी मशीनरी पर शी का कंट्रोल वैसे ही बरकरार है। लेकिन कभी ‘हर चीज के चेयरमैन’ कहे जाने वाले जिनपिंग की रफ्तार बहुत धीमी हो चली है। 2015-16 में आर्थिक सुस्ती के बावजूद वह अपनी सत्ता आसानी से बचा ले गए थे, हालांकि अब चुनौती बड़ी और ग्लोबल है।
बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को लगा झटका
चीन एक बार फिर आर्थिक गिरावट झेल रहा है। पश्चिमी देशों का मूड उसके खिलाफ हो गया है, इनमें से कई तो ऐसे हैं जिनके चीन के साथ अच्छे रिश्ते रहे हैं। विदेशी जाकर काम, पढ़ाई या घूमने वाले रईस चीनियों को भी इस बात का एहसास हो चुका है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) नेटवर्क इसीलिए बनाया गया था ताकि चीन के राजनीतिक हित साधे जा सकें और दूसरे देशों पर आर्थिक निर्भरता कम हो सके। इस प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगा है। कई देश कर्ज को रीशेड्यूल करने की बमांग कर रहे हैं। चीन ने हफ्तों तक कोविड-19 की बात छिपाई, इससे भी इस पहल पर नकरात्मक असर हुआ है।
अपाचे हेलिकॉप्टर
फॉर्वर्ड बेस पर अपाचे हेलिकॉप्टर भी ऑपरेशन करते दिखाई दिए। ये युद्धक हेलिकॉप्टर अमेरिकी कंपनी बोइंग ने बनाए हैं। इसका कुल वजन 6838 किलोग्राम के आसपास होता है। ये अधिकतम 279 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकते हैं। इसमें दो टर्बोशाफ्ट इ्ंजन होते हैं ज। इसमें एयर टु एयर मिसाइलें, रॉकेट और गन की क्षमता होती है। इसकी ऊंचाई लगभग 15.24 फीट होती है और पंख 17.15 फीट तक फैले होते हैं।
प्रधानमंत्री ने भी चीन को लताड़ा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कल जवानों की हौसला आफजाई और चीन को कड़ा संदेश देने के लिए लेह पहुंचे थे। उन्होंने घायल जवानों से मुलाकात के दौरान कहा कि भारत न किसी के सामने झुका है और न ही झुकेगा। पीएम मोदी ने चीन की विस्तारवादी नीति को लेकर उसे जमकर लताड़ लगाई जिसके बाद बौखलाहट में चीन भी जवाब देने लगा।
मिग-29 का भी ऑपरेशन
चीन सीमा पर मिग-29 विमान भी ऑपरेशान में शामिल हैं। गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद भारत हर चुनौती के लिए तैयार है। इस झड़प में 20 जवान शहीद हो गए थे और बड़ी संख्या में चीनी जवान भी मारे गए थे। चीन अकसर सीमाओं को लांघने की कोशिश करता रहता है। हालांकि भारतीय जवान उनकी हर कोशिश नाकाम करने में कसर नहीं छोड़ते।
पार्टी के वफादार रहे हैं शी जिनपिंग
शी जिनपिंग ऐसे नेता के रूप में उभरे हैं जो पूरी तरह से पार्टी के प्रति समर्पित है। उनका मकसद कम्युनिस्ट पार्टी के हाथों में चीन की सत्ता रखना है। पार्टी ने जिस तरह से आर्थिक विकास किया है और शी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जैसा अभियान चलाया, उससे इस मकसद को और बल मिला। शी ने अपने कई दुश्मनों को करप्शन कैंपेन में निपटा दिया।
आक्रामकता कहीं चीन को ले न डूबे
चीन ने हाल ही में जो आक्रामक रुख अपनाया, उसका मकसद अपने पड़ोसियों को याद दिलाना था कि वे दोयम दर्जे पर हैं। हालांकि शी जिनपिंग का यह दांव ठीक नहीं बैठा। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर चीन ने जब घुसपैठ की भारत ने उसका करारा जवाब दिया। यह साफ हो गया कि भारत बात आगे बढ़ जाएगी, इस डर से चुप नहीं बैठेगा। दूसरी तरफ, ऑस्ट्रेलिया ने भी इम्पोर्ट बंद करने की चीन की धमकी को नजरअंदाज करते हुए चीनी सैनिकों के आने पर रोक लगा दी है। दक्षिण चीन सागर में जापान और दक्षिण एशियाई देश चीन के आगे गुट बनाए खड़े हैं और उससे समुद्र के नियमों का पालन करने को कह रहे हैं।
रास्ता भले न बदलें मगर शी के लिए बड़ा चैलेंज
हॉन्ग कॉन्ग के लिए नए कानून बनाकर चीन को वैश्विक स्तर पर आलोचना झेलनी पड़ रही है, लेकिन जिनपिंग शायद ही अपना रास्ता बदलें। हालांकि यह चीन के ऊपरी तबके लिए जरूर अजीब है जिसने लोकतंत्र के बदले आर्थिक बेहतरी को चुना। अभी भले ही राष्ट्रवाद पर सवार होकर जिनपिंग इस चुनौती से निपट लें मगर पार्टी के भीतर अपनी हनक बरकरार रख पाना उनके लिए आसान नहीं होगा।
Home / News / चीन ने अपने ही पैरों पर मारी कुल्हाड़ी? शी जिनपिंग को बहुत महंगा पड़ सकता है पड़ोसियों से पंगा
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