
जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर सऊदी अरब और इस्लामिक देशों के संगठन (OIC) को धमकाने वाला पाकिस्तान अब ओआईसी के तारीफों के पुल बांधने लगा है। पाकिस्तानी विदेश नीति में यह यूटर्न ऐसे समय पर आया है जब देश के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को खाली हाथ सऊदी अरब से लौटना पड़ा है। साथ ही सऊदी अरब अपने 3 अरब डॉलर की रकम को वापस मांग रहा है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद चौधरी ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान ओआईसी के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं की पुष्टि करता है। उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान मुस्लिम देशों के एकता के प्रति प्रतिबद्ध है और हमेशा उसी दिशा में काम किया है। पाकिस्तान मुस्लिम देशों को एकजुट करने के लिए आगे भी प्रयास जारी रहेगा।’ पाकिस्तान ने कश्मीर के मुद्दे पर भी ओआईसी के योगदान को याद किया।
चौधरी ने कहा कि ओआईसी ने कश्मीर के विषय पर एक संपर्क समूह बनाने में ‘एक महत्वपूर्ण भूमिका’ निभाई। ओआईसी ने एक विशेष दूत नियुक्त किया और भारत के कार्यो की निंदा करने के लिए कई प्रस्ताव पारित किए। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के सुर में यह बदलाव सेना प्रमुख की सऊदी अरब यात्रा के बाद आया है। चौधरी ने कहा कि जनरल बाजवा की यात्रा इस बात का सबूत है कि दोनों देशों के बीच भाइयों जैसा संबंध बरकरार है।
‘विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक बुलाने में हीलाहवाली बंद करे’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान सऊदी अरब के ओआईसी के जम्मू-कश्मीर पर कॉन्टैक्ट ग्रुप की भूमिका की तारीफ करता है। इससे पहले चीन और तुर्की के इशारे पर नाच रहे पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कश्मीर को लेकर पिछले दिनों अपने पुराने ‘मित्र’ सऊदी अरब को बड़ी धमकी दे डाली थी। उन्होंने कहा कि ओआईसी कश्मीर पर अपने विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक बुलाने में हीलाहवाली बंद करे।
पाकिस्तानी न्यूज चैनल एआरवाई को दिए साक्षात्कार में कुरैशी ने कहा, ‘मैं एक बार फिर से पूरे सम्मान के साथ ओआईसी से कहना चाहता हूं कि विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक हमारी अपेक्षा है। यदि आप इसे बुला नहीं सकते हैं तो मैं प्रधानमंत्री इमरान खान से यह कहने के लिए बाध्य हो जाऊंगा कि वह ऐसे इस्लामिक देशों की बैठक बुलाएं जो कश्मीर के मुद्दे पर हमारे साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं।’
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