
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में अब प्लाज्मा थेरेपी का प्रयोग किया जाएगा। अमेरिका की खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) ने भी कोरोना मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दे दी है। दावा किया जा रहा है कि इससे 30 से 50 फीसदी तक कोरोना संक्रमित मरीजों की जान बचाई जा सकती है।
दावा 50 फीसदी तक मरीजों की बचेगी जान
अमेरिकी स्वास्थ्य मंत्री एलेक्स अजार और एफडीए कमिश्नर स्टीफन हैन ने इसे ऐतिहासिक घोषणा बताया, जबकि ट्रंप ने इसके उपचार को सुरक्षित और प्रभावी बताया। हैन ने बताया कि यह प्लाज्मा कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हो चुके मरीजों के रक्त से निकाला जाएगा। जिसे संक्रमित मरीज को देने से उसके ठीक होने की संभावना बढ़ जाएगी। मेयो क्लिनिक के एक रिसर्च में दावा किया गया है कि कंवलसेंट प्लाज्मा कोरोना वायरस मृत्यु दर को 30 से 50 फीसदी तक कम कर देगा।
क्या होता है कंवलेसंट प्लाज्मा
जब कोई वायरस किसी व्यक्ति पर हमला करता है तो उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज कहे जाने वाले प्रोटीन विकसित करती है। अगर वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के ब्लड में पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडीज विकसित होता है तो वह वायरस की वजह से होने वाली बीमारियों से ठीक हो सकता है।
कंवलेसंट प्लाज्मा थेरेपी के पीछे आइडिया यह है कि इस तरह की रोग प्रतिरोधक क्षमता ब्लड प्लाज्मा थेरेपी के जरिए एक स्वस्थ व्यक्ति से बीमार व्यक्ति के शरीर में ट्रांसफर की जा सकती है। कंवलेसंट प्लाज्मा का मतलब कोविड-19 संक्रमण से ठीक हो चुके व्यक्ति से लिए गए ब्लड के एक अवयव से है। प्लाज्मा थेरेपी में बीमारी से ठीक हो चुके लोगों के एंटीबॉडीज से युक्त ब्लड का इस्तेमाल बीमार लोगों को ठीक करने में किया जाता है।
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