
संयुक्त राष्ट्र की सिंगापुर कन्वेंशन ऑन मिडिएशन के नाम से जानी जाने वाली सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता संधि शनिवार से लागू हो गई । अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विवादों को आसानी से हल करने में मददगार यह संधि भारत और अन्य देशों में आपसी व्यावसायिक और बड़े कॉरपोरेट विवादों को निपटाने में मध्यस्थता का प्रभावी तरीका प्रदान करती है । इसके लागू होने से भारत की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देगा।
इस संधि पर एक सितंबर, 2020 तक भारत, अमेरिका, चीन और दक्षिण कोरिया समेत करीब 53 देश इस संधि पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। सिंगापुर, फिजी, कतर, सउदी अरब और बेलारूस ने भी इसमें शामिल हो गए हैं। इक्वाडोर ने भी हाल ही में इसका समर्थन किया है। इससे भारत और दुनियाभर के व्यापारियों में सीमा पार व्यापारिक विवादों को हल करने में प्रभावी मध्यस्थता के माध्यम से अब अधिक निश्चितता होगी।
बता दें कि सिंगापुर के नाम पर होने वाली यह संयुक्त राष्ट्र की पहली संधि भी है। सिंगापुर के कानून मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि विवादों के निपटाने के लिए प्रत्येक देश की एक घरेलू और खर्चीली प्रक्रिया होती है। इनसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई महत्वपूर्ण व्यावसायिक मुद्दे लंबे समय तक विवादों में उलझे रहते हैं।
कन्वेंशन के लागू होने के साथ, सीमा पार व्यवसाय से जुड़े विवादों के समाधान के लिए सदस्य देशों द्वारा सीधे आवेदन किए जा सकेंगे। संधि के तहत सामंजस्य आधारित और सरल एवं प्रभावी ढांचे से विवाद समाधान में समय और कानूनी लागत की बचत भी होगी, जो कोविड-19 महामारी के दौरान अनिश्चितता के समय में व्यवसायों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
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