
चीन ने कहा है कि उसकी कोरोना वायरस वैक्सीन इस साल नवंबर या दिसंबर तक आम जनता के इस्तेमाल के लिए बनकर तैयार हो जाएगी। चीन के बीमारी रोकथाम और बचाव केंद्र (CDC) ने कहा कि चीन की चार कोरोना वायरस वैक्सीन अपने तीसरे और अंतिम चरण में हैं। इनमें से तीन को तो जुलाई में ही आवश्यक कामगारों को आपातकालीन मंजूरी के तहत लगा भी दिया गया है।
सीडीसी की बॉयोसेफ्टी एक्सपर्ट गुइझेन वू ने कहा कि तीसरे चरण का ट्रायल ठीक ढंग से चल रहा है और आम जनता के लिए इस साल के नवंबर या दिसंबर तक कोरोना वैक्सीन बनकर तैयार हो जाएगी। वू ने दावा किया कि उन्होंने अप्रैल महीने में कोरोना वैक्सीन को लगवाया था लेकिन उसका उन्हें कोई असामान्य प्रभाव देखने को नहीं मिला है। वू ने यह नहीं बताया कि कौन सी वैक्सीन उन्होंने लगवाया था।
भारत बायोटेक ने 20 बंदरों को चार समूहों पर बांटकर रिसर्च किया। एक ग्रुप को प्लेसीबो दिया गया जबकि बाकी तीन ग्रुप्स को तीन अलग-अगल तरह की वैक्सीन पहले और 14 दिन के बाद दी गई। दूसरी डोज देने के बाद, सभी बंदरों को SARS-CoV-2 से एक्सपोज कराया गया। वैक्सीन की पहली डोज दिए जाने के तीसरे हफ्ते से बंदरों में कोविड के प्रति रेस्पांस डेवलप होना शुरू हो गया था। वैक्सीन पाने वाले किसी भी बंदर में निमोनिया के लक्षण नहीं मिले।
कोवैक्सिन को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) – नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी (NIV) और भारत बायोटेक ने मिलकर डेवलप किया है। भारत बायोटेक ने 29 जून को ऐलान किया था कि उसने वैक्सीन तैयार कर ली है।
ICMR-भारत बायोटेक की Covaxin एक ‘इनऐक्टिवेटेड’ वैक्सीन है। यह उन कोरोना वायरस के पार्टिकल्स से बनी है जिन्हें मार दिया गया था ताकि वे इन्फेक्ट न कर पाएं। कोविड का यह स्ट्रेन पुणे की NIV लैब में आइसोलेट किया गया था। इसकी डोज से शरीर में वायरस के खिलाफ ऐंटीबॉडीज बनती हैं।
भारत में बनी पहली कोरोना वैक्सीन Covaxin का फेज 1 ट्रायल 15 जुलाई 2020 से शुरू हुआ था। देशभर में 17 लोकेशंस पर फेज 1 ट्रायल हुए। Covaxin ट्रायल की सारी डिटेल्स ICMR को भेजी जाएंगी। वहीं पर डेटा को एनलाइज किया जा रहा है।
दिल्ली स्थित एम्स में कोवैक्सिन का फेज 2 ट्रायल शुरू हो गया है। रेवाड़ी के गावं खरखड़ा निवासी प्रकाश यादव को वैक्सीन की पहली डोज दी गई। उन्हें 0.5ml की डोज देने के बाद दो घंटे तक ऑब्जर्वेशन में रखा गया। डॉक्टर अगले 7 दिन तक उनके टच में रहेंगे। 28 दिन बाद प्रकाश को दूसरी डोज दी जाएगी।
भारत में कम से कम सात कंपनियां- Bharat Biotech, Zydus Cadila, Serum Institute, Mynvax Panacea Biotec, Indian Immunologicals और Biological E कोरोना वायरस की अलग-अलग वैक्सीन पर काम कर रही हैं। सीरम इंस्टिट्यूट ने ऑक्सफर्ड वैक्सीन का ट्रायल रोक दिया है जबकि बाकी जारी हैं। आमतौर पर वैक्सीन डेवलप करने में सालों लगते हैं मगर कोरोना के चलते दुनियाभर के रिसर्चर्स ने युद्धस्तर पर काम किया है। कोवैक्सिन के फेज 1 ट्रायल डेटा को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के सामने रखना होगा। वहां से फेज 2 ट्रायल की परमिशन मिलेगी जिसमें 750 पार्टिसिपेंट्स होंगे। तीसरी स्टेज में हजारों वालंटियर्स शामिल होंगे। भारत बायोटेक को उम्मीद है कि उसकी वैक्सीन अगले साल की पहली तिमाही तक उपलब्ध हो जाएगी।
बता दें कि पिछले दिनों चीन की चाइना नैशनल बायोटेक ग्रुप ने अपनी कोरोना वायरस वैक्सीन को सुरक्षित और प्रभावी बताया था। कंपनी ने एक बयान में कहा कि अभी तक जिन लोगों को इस वैक्सीन के दोनों टीके लगाए जा चुके हैं उनमें किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखा है। कंपनी ने अपने आधिकारिक वीचैट अकाउंट पर कहा कि अभी तक इस वैक्सीन की डोज लगभग 1 लाख लोगों को दी गई है।
चीन ने तीन कोविड वैक्सीन को दी मंजूरी
चीन ने तत्काल उपयोग के लिए कोरोना वायरस के तीन वैक्सीन को मंजूरी दी है। इनमें से दो को चाइना नेशनल बायोटेक ग्रुप (सीएनबीजी) ने विकसित किया है। वैक्सीन की खुराक सबसे पहले संक्रमण की चपेट में आने की संभावना वाले उच्च जोखिम समूह जैसे कि मेडिकल स्टाफ, राजनयिकों को दिए गए हैं। इसके अलावा चीन ने इन वैक्सीनों को अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत आने वाले देशों को भी भेजा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रवक्ता मार्गरेट हैरिस ने जिनेवा में कहा कि दुनिया भर में कोरोना वायरस के कई वैक्सीन एडवांस क्लिनिकल स्टेज में हैं। लेकिन, किसी भी वैक्सीन के लिए यह नहीं कहा जा सकता है कि वह पूरी तरह से प्रभावी हैं। उन्होंने कहा कि हम अगले साल के मध्य तक भी व्यापक वैक्सीनेशन की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। मार्गरेट ने आगे कहा कि फेज 3 के ट्रायल में अधिक समय लग रहा है क्योंकि हम देखना चाहते हैं कि वह वैक्सीन कोरोना के खिलाफ कितनी सुरक्षा मुहैया कराती है और उसका कोई साइड इफेक्ट तो नहीं है।
इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन के आपातकालीन मामलों के प्रमुख डॉक्टर माइकल रेयान ने कहा था कि हमें हर्ड इम्यूनिटी हासिल करने की उम्मीद में नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैश्विक आबादी के रूप में, अभी हम उस स्थिति के कहीं आसपास भी नहीं हैं जो वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी है। हर्ड इम्यूनिटी कोई समाधान नहीं है और न ही यह ऐसा कोई समाधान है जिसकी तरफ हमें देखना चाहिए। आज तक हुए अधिकतर अध्ययनों में यही बात सामने आई है कि केवल 10 से 20 प्रतिशत आबादी में ही संबंधित एंटीबॉडीज हैं, जो लोगों को हर्ड इम्यूनिटी पैदा करने में सहायक हो सकते हैं। लेकिन, इतनी कम एंटीबॉडीज की दर से हर्ड इम्यूनिटी को नहीं पाया जा सकता।
डब्ल्यूएचओ के प्रमुख ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी सुरक्षित और प्रभावी साबित होने से पहले किसी भी कोविड-19 टीके के उपयोग की सिफारिश नहीं करेगी। हालांकि, चीन और रूस ने व्यापक प्रयोग के समाप्त होने से पहले ही अपने टीके का उपयोग करना शुरू कर दिया है। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस अदानोम गेब्रेयसुस ने कहा कि टीकों का प्रयोग दशकों से सफलतापूर्वक किया जा रहा है। उन्होंने चेचक और पोलियो के उन्मूलन में इनके योगदान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मैं जनता को आश्वस्त करना चाहूंगा कि डब्ल्यूएचओ एक ऐसे टीके का समर्थन नहीं करेगा जो प्रभावी और सुरक्षित नहीं है।
जॉर्जिया विश्वविद्यालय में वैक्सीन और इम्यूनोलॉजी के केंद्र के निदेशक टेड रॉस ने संभावना जताते हुए कहा कि हो सकता है कि कोरोना का सबसे पहला टीका उतना प्रभावी न हो। टेड रॉस भी कोरोना वायरस की एक वैक्सीन पर काम कर रहे हैं जो 2021 में क्लिनिकल ट्रायल के स्टेज में जाएगी। कुछ अन्य रिसर्चर्स ने भी दावा किया है कि हम एक ही रणनीति पर बहुत अधिक उम्मीदें लगाकर न बैठें। दुनियाभर के लैब्स में 88 वैक्सीन प्री क्लिनिकल ट्रायल के स्टेज में हैं। इनमें से 67 वैक्सीन निर्माता साल 2021 के अंत में पहला क्लिनिकल ट्रायल शुरू करेंगे।
रूस ने पहले ही अपनी कोरोना वैक्सीन Sputnik V को लॉन्च कर दिया है। हालांकि, उसे लेकर एक्सपर्ट्स को शक है क्योंकि बिना बड़ी आबादी पर टेस्ट किए ही, उसे अप्रूव कर दिया गया है। हालांकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दावा किया था कि इस वैक्सीन ने कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों पर अच्छा असर दिलाया है। उन्होंने यह भी दावा किया था कि उनकी एक बेटी को इस वैक्सीन का डोज दिया गया है।
दुनियाभर में कोरोना वायरस फैलाने वाले चीन ने एक महीने पहले ही अपने लोगों को वैक्सीन दे दी थी। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने शनिवार को खुलासा किया था कि वह 22 जुलाई से ही अपने लोगों को वैक्सीन की डोज दे रहा है। हालांकि, आयोग ने यह नहीं बताया कि चीन में क्लिनिकल ट्रायल के अंतिम फेज में पहुंची चार वैक्सीन में से किसे लोगों को दिया गया है। इतना ही नहीं, आयोग ने यह भी दावा किया कि लोगों पर इस वैक्सीन का कोई कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ा है।
वैक्सीन को लेकर पश्चिमी देशों पर निशाना
चीन के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अपनी वैक्सीन को लेकर पश्चिमी देशों पर निशाना भी साधा है। उन्होंने कहा कि हमने फिर से साबित कर दिया है कि कोरोना के खिलाफ हमारी वैक्सीन बहुत प्रभावी है। यह उन पश्चिमी देशों को करारा जवाब है जो हमारी वैक्सीन की गुणवत्ता पर सवाल उठा रहे थे। चीन की यह वैक्सीन दुनियाभर के अग्रणी कोरोना वायरस वैक्सीनों में से एक है।
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