
अभी तक माना जा रहा था कि कोरोना वायरस से एक बार इन्फेक्ट होने पर किसी इंसान के अंदर उससे लड़ने वाली ऐंटीबॉडी पैदा हो जाती हैं। ये दोबारा इन्फेक्शन रोकती हैं और इनकी मदद से दूसरे लोगों को भी इन्फेक्शन के खतरे से बचाया जा सकता है। हालांकि, अब कुछ जगहों पर कोरोना के मरीज के दोबारा इन्फेक्ट होने के केस सामने आने लगे हैं। वहीं, 89 साल की एक डच मूल की महिला की दोबारा इन्फेक्शन से मौत भी हो गई है। यह इस तरह की पहली घटना मानी जा रही है।
पहले नहीं मिली थीं निगेटिव
मृतक महिला का कैंसर का ट्रीटमेंट चल रहा था। रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्हें दो महीने के अंतर पर वायरस के अलग-अलग स्ट्रेन से इन्फेक्शन हुआ। हालांकि, दोनों इन्फेक्शन के बीच महिला को कभी कोरोना वायरस के लिए निगेटिव पाया ही नहीं गया था। दरअसल, महिला पहली बार पॉजिटिव टेस्ट होने के बाद लक्षण खत्म होने पर वह घर चली गई थीं।
कीमोथेरपी के बाद बीमार
इसके 59 दिन बाद वह कैंसर के लिए कीमोथेरपी शुरू होने के दो दिन बाद ही उन्हीं लक्षणों के साथ वापस लौटीं। माना जा रहा है कि कैंसर के इलाज के दौरान उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो गया था। एक बार फिर वह कोरोना के लिए पॉजिटिव पाई गईं और तीन हफ्ते बाद उनकी मौत हो गई। उनकी रिपोर्ट लिखने वाले डॉक्टरों का कहना है कि उनके दोनों सैंपल में
कैंसर मरीजों को ज्यादा खतरा
डॉक्टरों का कहना है कि महिला का एक तरह के ब्लड कैंसर के लिए इलाज चल रहा था। इसमें वाइट ब्लड सेल्स (White Blood Cells) में असामान्यता आ जाती है। WBC इम्यून सिस्टम से सही से काम करने के लिए अहम होते हैं। वे कोरोना जैसे इन्फेक्शन से बचाते हैं। कैंसर के लिए होने वाली कीमोथेरेपी में ऐसे ब्लड सेल्स से लड़ा जाता है और इंसान के शरीर के अंदर इम्यून सिस्टम रह ही नहीं जाता है। इस वजह से कीमोथेरपी ले रहे लोगों को हाई-रिस्क ग्रुप में रखा गया है।
अमेरिका में दोबारा इन्फेक्शन का पहला केस
वहीं, अमेरिका में नेवादा विश्वविद्यालय की शोध में पता चला है कि एक 25 वर्षीय पुरुष 48 दिनों के भीतर दो कोरोना वायरस के दो अलग-अलग वेरिएंट से संक्रमित था। पहले वेरियंट से संक्रमित होने के बाद उसका कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आया था। जिसके बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, लेकिन बाद में वह फिर से कोरोना के दूसरे वेरियंट से संक्रमित पाया गया। इस रिसर्च में कहा गया है कि मरीज जब दूसरी बार कोरोना वायरस से संक्रमित हुआ तो उसकी स्थिति पहले की अपेक्षा ज्यादा खराब थी। इसके कारण उसे अस्पताल में ऑक्सीजन की सपोर्ट पर रखा गया।
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