
रूस के हस्तक्षेप के पश्चात डेढ़ माह बाद आर्मेनिया और अजरबैजान ने अजरबैजान सीमा में मौजूद एवं आर्मेनियाई जातीय समूह द्वारा नियंत्रित नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र में लड़ाई खत्म करने की घोषणा की। रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने मध्यस्थता करते हुए दोनों देशों को युद्ध विराम के लिए राजी किया। यह युद्ध विराम मंगलवार रात 12 बजे से लागू हो जाएगा। रूस की सेनाएं इस युद्ध विराम समझौते की निगरानी करेंगी।
समझौते के तहत करीब 2000 रूसी शांति रक्षक इलाके में तैनात होंगे। आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशनियान ने फेसबुक पर लिखा कि उन्होंने रूस और अजरबैजान के साथ युद्ध विराम के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा कि यह समझौता करना उनके लिए दुखदायी है लेकिन लोगों की जान बचाने के लिए यह जरूरी था।
अब तक 30,000 लोगों ने गंवाई जान : नागोर्नो-काराबाख वर्ष 1994 में अलगाववादी युद्ध के बाद से ही आर्मेनिया समर्थित आर्मेनियाई जातीय बलों के नियंत्रण में है और इस युद्ध में अब तक 30,000 लोग जान गंवा चुके हैं।
आर्मेनिया के लोगों ने किया विरोध : आर्मेनिया की राजधानी येरेवान के मुख्य चौक पर हजारों लोग जमा हुए और समझौते का विरोध किया। प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे कि हम अपनी जमीन नहीं छोड़ सकते हैं और पशनियान का विकल्प तलाश रहे हैं।
ईसाई बहुल है नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र : सोवियत संघ के विघटन के बाद 1991 में नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र अजरबैजान को दे दिया गया था। इस प्रांत में अधिकतर आबादी आर्मेनियाई ईसाई बहुल है।
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